सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेजों के मुताबिक वर्ष-2005 में हुई भर्ती में 40 तथा वर्ष-2006 में 40 शिक्षाकर्मियों के दस्तावेजोंं में गड़बड़ी पाई गई थी। इसके बाद वर्ष-2007 में धमतरी जनपद पंचायत में हुई भर्ती प्रक्रिया में 19 लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाया है। इसके खुलासे के बाद पुलिस ने एक मामले में 5 शिक्षाकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था। बताया गया है कि जिले में शिक्षाकर्मी फर्जीवाड़े के 14 प्रकरणों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इसी तरह नगरी ब्लाक मेंं 40 और मगरलोड ब्लाक में 160 प्रकरण लंबित है। इसमें से 15 न्यायालय में विचाराधीन है। गौरतलब है फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन कलक्टर नवल सिंह मंडावी ने इसकी जांच सीआईडी और लोक आयोग से करानी की घोषणा की थी। साथ ही सीआईडी को 123 शिक्षाकर्मियों का मामला भी भेजा था, लेकिन इसकी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई।
कलक्टर, डा. सीआर प्रसन्ना ने बताया शिक्षाकर्मी फर्जीवाड़े के मामले को रायपुर जांच एजेंसी को भेजा गया है। एजेंसी से संपर्क कर इसकी रिपोर्ट का पता लगाएंगे। भूपेश सरकार ले संज्ञान
इधर, मामले को गंभीरता से लेते हुए शहर के शिक्षित बेरोजगारों ने प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। युवा विजयकांत भांडेकर, अनिल साहू, लेखराम नाग, लक्की जैन, पुष्कर यादव ने कहा कि फर्जी शिक्षाकर्मियों पर कार्रवाई होना चाहिए। ऐसे लोगों के चलते पात्र अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकारमय हो गया।