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सड़क, पानी और बिजली की मांग को लेकर वनवासियों ने कलक्ट्रेट ने किया प्रदर्शन

locationधमतरीPublished: Feb 19, 2019 03:29:44 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

सडक़, पानी, बिजली की मांग को लेकर वनवासियों ने कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया।

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सड़क, पानी और बिजली की मांग को लेकर वनवासियों ने कलक्ट्रेट ने किया प्रदर्शन

धमतरी. सडक़, पानी, बिजली की मांग को लेकर वनवासियों ने कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि आजादी के 70 सालों बाद भी उन्हें बुनियादी सुविधाएं नसीब नहीं हो सकी। टाइगर रिजर्व के कोर जोन में होने से यहां चलने के लिए सडक़ तक नहीं है।
सोमवार को नगरी ब्लाक के ग्राम पंचायत रिसगांव, खल्लारी और करही के लोगों ने कलक्ट्रेट में प्रदर्शन कर बुनियादी सुविधाएं देने की गुहार लगाई। करही के सरपंच बीरबल पदमाकर, खल्लारी के फगनूराम ध्रुव ने कहा कि देश को आजाद हुए आज 70 बरस हो गए हैं, लेकिन अब तक नगरी के वनांचल के लोग अभावों में जीवन गुजार रहे है। इन तीनों ग्राम पंचायतों के अधीन करीब बीस आश्रित गांव हैं, जहां की आबादी करीब 20 हजार है।
इतनी बड़ी आबादी को आज स्वच्छ पानी तक नसीब नहीं हुआ है। चलने के लिए सडक़ नहीं है। और तो और वनग्रामों में बिजली तक की सुविधा नहीं है। गांव के हैंडपम्प से भी आयरनयुक्त पानी आ रहा है। मजबूरी में लोगों को आयरनयुक्त पानी पीना पड़ रहा है। इससे वनवासियों में जलजनित बीमारियां हो रही है। उनकी बातों को गंभीरता से सुनने के बाद सीईओ जिला पंचायत ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रदर्शनकारियों में रूपसिंह मंडावी, परमानंद कश्यप, धनेश मरकाम, राजाराम, कृष्ण कुमार कुंजाम, जयलाल सोरी, फगुवा राम, प्रभुलाल, मंगल नाग समेत बड़ी संख्या में वनवासी शामिल थे।
गांव में ही सिमट जाती हैं जिंदगी
रिसगांव की सरपंच सीतादेवी चनाप, संतोष मरकाम ने कहा कि बारिश का चौमासा उन्हें भारी पड़ता हैं, क्योंकि 50 किमी के दायरे में आने वाले इन 20 गांवों में सडक़ के पास ही पुल-पुलिया तक नहीं है। गहनासियारी से लेकर खल्लारी-रिसगांव-करही से अरसीकन्हार तक सडक़ निर्माण की मांग की जा रही हैं, पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। बारिश के दिनों में उनकी दिनचर्या गांव में ही सिमट कर रह जाती है।
अधर में लटक गया पुलिया निर्माण
आदिवासी नेता रामप्रसाद मरकाम, भगवान सिंह नाग ने कहा कि टाइगर रिजर्व के नाम से तीनों पंचायतों में कोई काम नहीं हो रहा। जनहित में पंचायत की मांग पर शासन यदि कोई काम स्वीकृत भी कर देता हैं, तो वन विभाग रिजर्व फारेस्ट की बात कहकर अडंगा डाल देता हैं। यही कारण है कि अरसीकन्हार से रिसगांव पहुंच मार्ग में स्वीकृत पुलिया भी अधर में लटक गया है। उन्होंने गांव को कोर जोन से हटाकर बफर जोन में रखने की मांग की है, ताकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं मिल सके।
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