उल्लेखनीय है कि जिले में 1050 आंगनबाड़ी केन्द्र है। मानदेय बढ़ाने समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिलेभर के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने बीते 5 मार्च से आंदोलन किया था। यह आंदोलन पूरे 52 दिनों तक चला। राज्य सरकार की मध्यस्थता से उनका आंदोलन 22 अप्रैल को तो खत्म हो गया, लेकिन इस बीच प्रशासनिक गाज गिरने से 450 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बर्खास्त हो गए, जिनकी आज तक बहाली नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि जिले में सर्वाधिक बर्खास्तगी की कार्रवाई कुरूद ब्लाक में हुई थी। यहां थोक के भाव में 270 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को बर्खास्त कर दिया गया। इसी तरह धमतरी ब्लाक में 101, नगरी में 48 तथा मगरलोड ब्लाक में 31 बर्खास्त महिला कर्मचारी अपनी बहाली की आस लगाए बैठी हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर वापसी की कार्रवाई में हो रही देरी से उनमें मायूसी भी है। गुरूवार को नगरी ब्लाक की कार्यकर्ताएं फिर कलक्ट्रेट पहुंची थी। यहां अपर कलक्टर दफ्तर में उन्होंने गुहार लगाई।
आंगनबाड़ी के जिलाध्यक्ष, रेवती वत्सल ने बताया जिले में सभी बर्खास्त कार्यकर्ता और सहायिकाओं की बहाली होनी है। इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उम्मीद करते हैं कि आचार संहिता लगने से पहले उनकी बहाली हो जाए।
बाल विकास विभाग की अधिकारी महिला, हरिकीर्तन राठौर ने बताया जिला प्रशासन को अपील आवेदन कर दिया गया है। बर्खास्ती को निरस्त करने कुछ फाल्र्मेल्टी की प्रक्रिया पूरा होते ही सभी बहाल हो जाएंगे।