scriptसिहावा के जंगल से ग्राउंड रिपोर्ट: पलाश के जंगलों में बारूद की गंध | Ground zero report on Dhamtari assembly seat in CG Polls | Patrika News

सिहावा के जंगल से ग्राउंड रिपोर्ट: पलाश के जंगलों में बारूद की गंध

locationधमतरीPublished: Oct 14, 2018 03:30:04 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

नक्सलवाद प्रभावित सिहावा विधानसभा के कई गांव ऐसे हैं, जहां शाम होते ही खतरनाक सन्नाटा पसर जाता है।धमतरी में क्या है हकीकत जानिए सिहावा के जंगल से ग्राउंड रिपोर्ट।

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सिहावा के जंगल से ग्राउंड रिपोर्ट: पलाश के जंगलों में बारूद की गंध

धमतरी. नक्सलवाद प्रभावित सिहावा विधानसभा के कई गांव ऐसे हैं, जहां शाम होते ही खतरनाक सन्नाटा पसर जाता है। विकास का दावा करने वाली छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार की धमतरी में क्या है हकीकत जानिए पत्रिका के अब्दुल रज्जाक रिजवी की सिहावा के जंगल से ग्राउंड रिपोर्ट।विकास का दावा करने वाली छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार की धमतरी में क्या है हकीकत जानिए पत्रिका के अब्दुल रज्जाक रिजवी की सिहावा के जंगल से ग्राउंड रिपोर्ट।
सिहावा के घोर जंगलों में कभी पलाश के फूलों की खूशबू कभी मदहोश कर दिया करती थी, लेकिन अब यहां कुछ सालों से फिजा में बारूद की गंध फैलने लगी है। माओवादियों का खौफ इतना है कि क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में शाम ढलते ही लोग घरों में दुबक जाते हैं। गौरतलब है कि माओवादी पिछले दस सालों से विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर रहे हैं इसके बावजूद यहां के लोग लोकतंत्र के महोत्सव को धूमधाम से मनाते हैं।
हावा विधानसभा चुनाव को लेकर चौक-चौराहों में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गरम है। कुकरेल के मेन चौक में कन्हैया विश्वकर्मा से एक हॉटल में मुलाकात हुई, तो उन्होंने बताया कि टिकट के दावेदार लगातार दौरा कर रहे हैं। हर कोई यह दावा करता है कि टिकट मुझे मिल रहा है। बीच में ही उसकी बात काटते हुए कृष्णा यादव ने कहा कि जिसे भी मिलें, हमें क्या करना? कोई हमारे घर को नहीं भर देगा।
उसकी बात का समर्थन करते हुए मोतीराम यादव ने कहा कि नेता चुनाव के समय ही दिखते हैं, बाकी तो इन्हें चिराग लेकर ढूंढो भी तो नहीं मिलते। ध्रुव से जब पूछा गया कि आपके विधायक का कामकाज कैसा है? उन्होंने तपाक से कहा-हमारे कुकरेल को अभी तक तहसील नहीं बनाया गया। किसान कचरूराम ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि फुटहामुड़ा नहर नाली के नाम से हर बार वोट लेते हैं, लेकिन इसका निर्माण नहीं करते।

हर तरफ दर्द के जंगल
यहां से जब हम आगे ग्राम केरेगांव पहुंचे तो नहरूराम ने बताया कि सैकड़ों आदिवासी पट्टे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई बार विधायक से लेकर कलक्टर तक गुहार लगा चुके हैं, फिर भी पट्टा नहीं मिला। गोपालराम को पीड़ा इस बात की थी कि अब तो जंगल में रहने वाले आदिवासियों को भी बलपूर्वक खदेड़ा जा रहा है।

आदर्श ग्राम दुगली में पहुंचे, तो सुरेन्द्र मंडावी से मुलाकात हुई, उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आने के बाद यहां विकास कार्य हुआ था। सरकार की योजनाओं के संबंध में जब चर्चा की गई, तो सूरजलाल नेताम ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन किया, लेकिन मकान नहीं मिला। महिला खुशयारिन बाई ने बताया कि स्मार्टकार्ड होने के बावजूद भी इसका लाभ नहीं मिला।

इधर, दहशत
जंगलपारा में रफीक भाई ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री एक अच्छे आदमी हैं। प्रदेश में आपसी भाईचारा बना रहे, विकास तो होता रहेगा। कांति नाग, सुरेश ध्रुव, रोहित साहू जैसे युवाओं का कहना है कि हमें मोबाइल नहीं रोजगार चाहिए। रिसगांव के चौक में भगवानसिंह मंडावी ने माओवाद के मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि आज से करीब 9 साल पहले यहां बम विस्फोट में 13 जवान शहीद हो गए थे।

नहर-नाली का मुद्दा
कुकरेल के करीब 17 ग्राम पंचायतों के 47 गांव आते हैं। इतवारीराम सिन्हा, हरीराम पटेल, प्रकाश दास का कहना है कि यदि सिलियारी से नहर नाली बनाते, तो हजारों किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलता। अधिकारी जान-बूझकर इस बहुप्रतिक्षित योजना पर ग्रहण लगा रहे हैं। रोहितदास मानिकपुरी का कहना है कि जल्द ही हम बैठक कर तय करेंगे कि चुनाव में शामिल होना है कि नहीं।

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