शासन द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर जोर दिया जा रहा है। इससे लोगों में नई चेतना आई है। बेटो के सामान बेटियों को भी सामान शिक्षा दी जा रही है। स्कूल और कालेजों में उनकी संख्या पहले से बढ़ गई है, लेकिन दूसरी ओर उन्हें नौकरी दिलाने के लिए कोई कारगार प्रयास नहीं किया जा रहा है।
आज हजारों युवतियां स्नातक, स्नाकोत्तर, पीजीडीसीए आदि की डिग्री लेकर नौकरी की तलाश में घूम रही है। प्राइवेट सेक्टर में उन्हें निराश हाथ लग रही है। जिले में राइस मिलों के अलावा और दूसरा कोई उद्योग, धंधा भी नहीं है। मुख्यमंत्री कौशल विकास विभाग से प्रशिक्षण लेने से हुनरमंद तो बन रहे हैं, लेकिन व्यवसाय करने के लिए बाजार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। ऐसे में युवतियां की चिंता बढ़ गई है। वे पढ़ाई का खर्च भी नहीं निकाल पा रही है। अब उनकी उम्मीदें भूपेश सरकार पर टीक गई है।
हितेश्वरी गांव और शहर में स्कूल कालेज खुल गए हैं। इससे अब पढ़ाई करने के लिए लंबी दूरी तय नहीं करना पड़ता। पढ़ाई, लिखाई के बाद युवतियों को नौकरी मिल सके, इसके लिए कारगार उपाय करना चाहिए।
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