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मतदान को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस नेता दे रहे हैं अफसरों को धमकी, भाजपाइयों को भटकना पड़ा

locationदेवासPublished: Apr 24, 2019 04:38:59 pm

सरकार जाते ही बदल गए हालात, आवेदन के लिए काफी देर भटकना पड़ा भाजपाइयों को

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मतदान को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस नेता दे रहे हैं अफसरों को धमकी, भाजपाइयों को भटकना पड़ा

देवास. कांग्रेस द्वारा बिजली कटौती को लेकर किए गए हंगामे और अधिकारियों कर्मचारियों को धमकाने का मामला तूल पकड़ रहा है। भाजपा विरोध में आई है और कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई की मांग कर रही है। हालांकि सत्ता जाने के बाद भाजपाइयों की हालत भी दयनीय हो गई है और हालात ऐसे हैं कि अधिकारियों को आवेदन देने के लिए भाजपाइयों को भटकना पड़ रहा है। मंगलवार को ऐसा ही हुआ। भाजपाई कलेक्टोरेट पहुंचे लेकिन आधे घंटे तक भटकते रहे। बाद में अपर कलेक्टर ने आवेदन लिया।
दरअसल सोमवार को शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी के साथ कांग्रेस पदाधिकारी आनंद बाग स्थित बिजली कंपनी के दफ्तर पहुंचे थे। बिजली कटौती को लेकर अधीक्षण यंत्री से चर्चा कर रहे थे। इसी दौरान शहर अध्यक्ष ने धमकीभरे लहजे में कहा कि आउटसोर्स में भाजपा व आरएसएस के लोग हैं। जो सरकार के खिलाफ षडय़ंत्र कर रहे हैं उन पर कार्रवाई करो। हम ऐसे कर्मचारियों को यहीं पर उल्टा लटकाकर मारेंगें।
इस दौरान कार्यकर्ता भी उग्र हो गए और धमकाने लगे। मामले ने तूल पकड़ा तो भाजपा फ्रंटफुट पर आई। मंगलवार को भाजपा विधि प्रकोष्ठ द्वारा कलेक्टोरेट पहुंचकर आवेदन दिया। इसमें कहा कि कांग्रेस नेता मनोज राजानी व अन्य ने बिजली कंपनी के कार्यालय में घुसकर दबाव बनाकर मतदान को प्रभावित करने का काम किया है। कर्मचारियों को उल्टा लटकार मारने की धमकी दी है। मतदान को प्रभावित करने के लिए यह किया है ताकि कर्मचारी डरकर कांग्रेस के प्रति निष्ठा बनाए रखें। धमकी से मतदान पार्टी विशेष के पक्ष में प्रभावित हो सकता है। इसलिए यह आचार संहिता का उल्लंघन है। कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं पर आचार संहिता उल्लंघन का संज्ञान लिया जाए। इस दौरान जिला संगठन प्रभारी वीरेंद्र कावडिय़ा, जिला महामंत्री फूलसिंह चावड़ा, रेवंत राजोले, मनीष पारीक, कैलाश आचार्य, जगदीश वर्मा, राजेंद्र नागर सहित अन्य उपस्थित थे।
भटकते रहे भाजपाई

जिस समय भाजपाई आवेदन देने गए थे उस समय कलेक्टर का इंतजार कर रहे थे लेकिन कोई नहीं आया। करीब आधे घंटे तक भाजपाई भटकते रहे कि किसे आवेदन दें। यहां वहां घूमते रहे मगर अफसरों ने परवाह नहीं की। करीब आधे घंटे बाद अपर कलेक्टर आई और आवेदन लिया। सोशल मीडिया पर घटना की चर्चा हुई और कहा जाने लगा कि सत्ता जाते ही भाजपाई भटकने पर मजबूर हो गए। कल तो एक फोन पर जो अधिकारी सामने खड़े हो जाते थे आज वे ही सुन नहीं रहे।
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