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बाल दिवस आज… विषम परिस्थितियों से संघर्ष कर निखारी प्रतिभा, गाड़ रहे सफलता के झंडे

कोई खेलकूद में पहुंचा जिले से राष्ट्रीय स्तर तक, तो किसी ने ज्ञान से बनाया अलग मुकाम

देवासNov 14, 2019 / 11:47 am

mayur vyas

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देवास.मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो विषम परिस्थितियां भी रास्ता नहीं रोक सकती हैं। परिवार सहित गुरुजनों के प्रोत्साहन व अपने संघर्ष के दम पर शहर के कुछ बच्चों ने ऐसा ही कर दिखाया है। किसी ने खेलकूद में सफलता के झंडे गाड़ते हुए जिले से लेकर प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां हासिल की हैं तो कोई अपने कौशल के दम पर अन्य क्षेत्रों में सफलताएं अर्जित कर रहा है। ये बच्चे छोटे और किशोर अवस्था के भले ही हैं लेकिन इनके सपने बड़े हैं जिन्हें साकार करने के लिए ये रोजाना कड़ी मेहनत कर रहे हैं। बाल दिवस पर जानिए ऐसे ही कुछ बच्चों की कहानी।
पिता श्रमिक, मां दूसरों के घर बनाती है भोजन, बेटी ने राज्यस्तरीय कराते में जीता रजत पदक, मोगली उत्सव में भी चयन
शहर के शांतिपुरा में रहने वाली मानसी ठाकुर शासकीय चिमनाबाईमावि में कक्षा सातवीं में पढ़ती है। उसके पिता हरिसिंह ठाकुर मजदूरी करते हैं जबकि माता सोनम ठाकुर लोगों के घर जाकर भोजन बनाती हैं। तीन बहनों में दूसरे नंबर की मानसी बहुमुखी प्रतिभा की धनी है। उसका चयन मोगली उत्सव में राज्यस्तर के लिए हुआ है। वहीं पिछले महीने मानसी ने ६५वीं राज्यस्तरीय शालेय क्रीड़ा स्पर्धाजबलपुर में भाग लेकर कराते स्पर्धा के २४-२६ किग्रा वजन वर्ग में रजत पदक जीतकर परिवार सहित देवास का गौरव बढ़ाया है। तीन बेटियों के पालन-पोषण की जि?मेदारी के बीच परिवार मानसी के सपनों को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। मानसी आगे चलकर सेना के माध्यम से देश की सेवा करना चाहती है।
कंडक्टर व महिला श्रमिक का बेटा कुश्ती में दिखा रहा दमखम
शासकीय माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-तीन में कक्षा आठवीं में पढ़ाई करने वाले वाले विशाल के पिता सीताराम इंदौर के एक निजी स्कूल की बस में कंडक्टर हैं। माता इंदौर में ही गार्डन में काम करती हैं। प्रधानाध्यापक सुरेश ठाकुर ने बताया विशाल की कुश्ती में विशेष रुचि है और उसने पिछले साल खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा उज्जैन में पर्यटन पर्व २०१८ के तहत आयोजित संभागस्तरीय स्पर्धा में ६-१४ वर्ष आयु वर्ग में भाग लेते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया था। विशाल भोपाल रोड स्थित तुकोजीराव पवार इंडोर स्टेडियम में रोजाना कुश्ती का प्रशिक्षण युवा कल्याण विभाग की ओर से प्राप्त कर रहा है।
हाव-भावों से छाप छोडऩे वाली अंजलि कहानी उत्सव में जाएगी भोपाल
हटेसिंह गोयल कॉलोनी की अंजलि की शामावि चिमनाबाई में आठवीं में पढ़ते हुए अभिनय कला व कहानी में गहन रुचि है। कहानी सुनाने के दौरान ही अपने हाव-भाव से निर्णायकों को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाली अंजलि लगातार दूसरी बार कहानी उत्सव के लिए चयनित हुई है। अंजलि के पिता अभिनव फूड डिलेवरी का काम करते हैं जबकि माता साधना लोगों के यहां खाना बनाती हैं। अंजलि ने पिछले साल कहानी उत्सव में विकासखंड स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया था जबकि इस बार उसने अकबर-बीरबल से जुड़े प्रसंग हरे घोड़े की कहानी सुनाकर पहला स्थान पाया है, अब वो भोपाल में स्पर्धा में भागीदारी करेगी। कहानी उत्सव प्रभारी अर्चना व्यास के मार्गदर्शन में सफलता हासिल करने वाली अंजलि डॉक्टर बनना चाहती है।
रोजाना ३ घंटे अ?यास, सॉ?टबॉल के दो नेशनल खेले, राज्य स्पर्धा में जीता स्वर्ण
बालगढ़ स्थित मॉडल स्कूल की कक्षा दसवीं की छात्रा मानसी राठौड़ ने सॉ?टबॉल खेल में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। उसने दो नेशनल स्पर्धाओं में भागीदारी की और इंदौर में चल रही स्टेट सब जूनियर चैंपियनशिप में बुधवार को ही टीम इवेंट में स्वर्णपदक जीता है। शिखरजी धाम में रहने वाली मानसी की तीन और बहने हैं। पिता शेरसिंह राठौड़ निजी कंपनी में काम करते हैं जबकि माता सुमन राठौड़ गृहिणी हैं। अपने खेल को और निखारने के लिए मानसी रोजाना शाम को कुशाभाऊ ठाकरे स्टेडियम में खेल गुरु अनिल श्रीवास्तव की देखरेख में तीन घंटे अ?यास करती है। मानसी का सपना सॉ?टबॉल में इंटरनेशनल खिलाड़ी व आईपीएस बनने का है।
अभिषेक ने 4 साल में लगाईपदकों की झड़ी, इंटरनेशनल मेडल लाना सपना
चाणक्यपुरी में रहने वाले पॉयोनियर स्कूल के कक्षा ११वीं के अभिषेक परिहार ने करीब चार साल पहले सॉ?ट टेनिस खेलने की शुरुआत की। खेल गुरु विश्वामित्र अवॉर्डी सुदेश सांगते के मार्गदर्शन में रोजाना ६ घंटे के अ?यास से उसने खेल में अपनी पकड़ बनाई और दो स्कूल गे?स व नेशनल ओपन में तीन स्वर्णपदक, चार रजत पदक व एक कांस्य पदक जीता है। अभिषेक के पिता निर्बान सिंह परिहार निजी कंपनी में काम करते हैं माता अर्चना परिहार हाउस वाइफ हैं। अभिषेक की प्राथमिकता इंटरनेशनल मेडल लाना है।

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