मधुमेह दिवस पर विशेष… सावधान… जिले में हर माह 300 से ज्यादा लोग मिल रहे शुगर पॉजिटिव
-115-120 अकेले जिला अस्पताल के ही आंकड़े, अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों में भी जांच में कई को हो रही बीमारी की पुष्टिदो-तीन साल के कई बच्चे भी आ रहे चपेट में, लगाना पड़ रहे इंसुलिन के इंजेक्शन
जिला अस्पताल के कक्ष क्रमांक-7 में उपचार के लिए खड़े मरीज, कई शुगर पीडि़त भी हैं।
सत्येंद्रसिंह राठौर. देवास
ब्लड प्रेशर की तरह ही चोरी-छुपे शरीर में पैदा होने वाली बीमारी के रूप में जानी जाने वाली शुगर (मधुमेह) वर्तमान परिस्थितियों में तेजी से बढ़ रही है। इसके आंकड़े भी चौंकाने वाले सामने आ रहे हैं। करीब २० लाख की आबादी वाले जिले में हर माह ३०० से भी अधिक मरीज शुगर पॉजिटिव मिल रहे हैं। इनमें से ११५-१२० मरीजों की पहचान जिला अस्पताल में हो रही है जबकि अन्य मरीज अंचल के सरकारी व निजी अस्पतालों सहित शहर के निजी अस्पतालों में सामने आ रहे हैं। दो-तीन साल के बच्चे भी इसकी चपेट में हैं और उनको इन्सुलिन के इंजेक्शन लगाना पड़ रहे हैं। इससे बचाव का सबसे बड़ा उपाय इसको लेकर सजग रहना ही है, और समय-समय पर जांच बहुत जरूरी है।
शुगर की यह बीमारी सामान्यत: दो प्रकार की होती है। टाइप-टू की बीमारी में परिवार की हिस्ट्री भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि किसी परिवार में किसी सदस्य को शुगर है तो आने वाली पीढ़ी के भी उससे पीडि़त होने की आशंका बढ़ जाती है। इस टाइप की बीमारी से पीडि़त होने वाले मरीजों की सं?या करीब ९० प्रतिशत रहती है। वहीं टाइप-१ की बीमारी के मरीजों को इंसुलिन का इंजेक्शन लगाना पड़ता है। इस टाइप-१ वाले वर्ग में कम उम्र में चपेटमें आने वाले बच्चे शामिल रहते हैं जिनकी सं?या १० प्रतिशत तक रहती है। चूंकि शुगर की बीमारी के कोई गंभीर या खतरनाक लक्षण शुरुआती दौर में नहीं रहते इसलिए यह आसानी से पकड़ में भी नहीं आती है और जागरुकता के अभाव में लोग इस ओर पर्याप्त ध्यान भी नहीं दे पाते हैं। गरीब व कम पढ़े-लिखे परिवारों में शुगर के प्रति जागरुकता तब तक न के बराबर रहती है जब तक उनको कोई अधिक परेशानी न हो। मध्यम वर्ग वाले अधिकांश परिवार भी इसको लेकर सचेत नहीं रहते और जब परेशानी बढ़ जाती हैतब शुगर का पता चलता है और इसको ठीक करना असंभव हो जाता है। जिला अस्पताल में हर माह 800 से अधिक मरीजों की जांच शुगर होने की आशंका में की जा रही है जिसमें से करीब ११५-१२० पॉजिटिव निकल रहे हैं।
ये हैं तीन प्रमुख लक्षण
शुगर की बीमारी के यूं तो कोई विशेष या प्रभावी नजर आने वाले लक्षण नहीं हैं लेकिन डॉक्टरों के अनुसार प्यास अधिक लगना, बार-बार लघुशंका की स्थिति बनना व भूख अधिक लगना तीन प्रमुख कारण शुगर होने के लक्षण माने जाते हैं। इनके होने पर तुरंत जांच करवाना चाहिए।३०-४० साल की उम्र के बीच शुगर होने की आशंका अधिक रहती है। इस वर्ग वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत रहती है।
एक ही दिन में दो जांचें, हर 6 -6 माह में करवाएं
शुगर की जांच सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क की जाती है। सामान्यत: इसकी दो जांचें होती हैं जो एक दिन में पूर्णहोती हैं। एक जांच खाली पेट की जाती हैऔर दूसरी भोजन करने के करीब दो घंटे के बाद। इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर शुगर होने या न होने की पुष्टि होती है। कई बार कई डॉक्टर इन दो जांचों के करीब १५ दिन बाद फिर से एक जांच करवाते हैं। डॉक्टरों की सलाह के अनुसार हर ६-६ माह के अंतराल के बाद शुगर की जांच करवानी चाहिए।
… तो आंख की रोशनी जाने, हृदयाघात व ब्रेन हेमरेज का खतरा
यदि किसी व्यक्ति के शरीर में शुगर की मात्रा अधिक अनियंत्रित हो गई तो इससे आंख की रोशनी कम हो सकती है या पूरी तरह से समाप्त हो सकती है। इसके अलावा हृदयाघात व ब्रेन हेमरेज का खतरा भी रहता है। किडनी से संबंधित रोग भी हो सकते हैं। वहीं टांग काटने की अधिकांश स्थितियां भी शुगर की बीमारी के कारण ही बनती हैं।
जिला अस्पताल में हर मरीज का रिपोर्ट कार्ड
जिला अस्पताल में शुगर के हर मरीज को रिपोर्ट कार्ड दिया जा रहा है जिसमें मरीज के नाम सहित उसकी जन्मतिथि, पता, पंजीयन दिनांक, संपर्कनंबर, अस्पताल सहित उसकी जांच की तारीख, जांच रिपोर्ट आदि दर्ज रहती है। समय-समय पर होने वाली जांच को इसमें सतत अपडेट किया जाता है।
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जागरुक रहें, समय-समय पर करवाएं जांच
सामान्यत: शुगर की बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन यदि परिवार में शुगर को लेकर अनुवांशिकता है तो विशेष सावधानी जरूरी है। जागरुक रहते हुए समय-समय पर शुगर की जांच अवश्यक करवाएं। एक बार यदि शुगर की जटिलता शरीर के अंदर बढ़ गईतो पूर्ण रूप से निदान संभव नहीं है।
–डॉ.एन.के. सक्सेना, एमडी मेडिसिन जिला अस्पताल।
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