सूत्रों के अनुसार यह पूरा फर्जीवाड़ा लोगों ने दलालों व ऑपरेटरों के साथ मिलकर आवास योजना का लाभ लेने के लिए किया। जानकारी के अनुसार पीएम आवास योजना का लाभ लेने के लिए कई अपात्र लोगों ने आवेदन किए थे। पीएम आवास योजना के लिए जरूरी दस्तावेजों में पांच साल तक लगातार संपत्तिकर जमा करने का प्रमाण भी आवश्यक है। ऐसे में अपात्र लोगों ने फर्जीवाड़ा करते हुए संपत्तिकर विभाग के माध्यम से पांच साल के फर्जी बिल बनवा लिए। इन बिल में खाता नंबर दूसरे व्यक्ति का था जबकि नाम उस अपात्र व्यक्ति का था जिसने पीएम आवास के लिए आवेदन किया। जब इनका सत्यापन कराया गया तो फर्जीवाड़ा सामने आया। पीएम आवास शाखा ने जांच की तो ऐसे करीब 114 मामले सामने आए। इसके बाद मामले की जानकारी निगमायुक्त विशालङ्क्षसह चौहान को दी गई। खास बात यह कि फर्जी खाते दूसरे के नाम पर बनाने में संपत्तिकर के दो प्रमुख अधिकारियों की आईडी का ही उपयोग हुआ।
सूत्रों के अनुसार इस मामले में जिन ऑपरेटरों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है उन्हें अभी तक विभाग से हटाया नहीं गया है। ऐसे में मामले की जांच पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस मामले में एक दूसरे विभाग के कर्मचारी की भी संलिप्पता सामने आई है। एक पूर्व जनप्रतिनिधि से जवाब मांगा है।
700 से ज्यादा आवेदन किए निरस्त
उधर पीएम आवास योजना शाखा ने अपात्र लोगों द्वारा आवास योजना का लाभ लेने के लिए दिए गए 700 से ज्यादा आवेदन निरस्त कर दिए हैं। ये ऐसे लोग थे जिन्होंने फर्जी पट्टे, फर्जी दालिखे लगाकर आवेदन किए थे। इनमें से कुछ ऐसे भी थे जिनके पक्के मकान थे।
इ स मामले में संपत्तिकर अधिकारी प्रवीण पाठक व नामांतरण शाखा प्रभारी रङ्क्षवद्रङ्क्षसह ठाकुर से जानकारी लेनी चाही तो दोनों ने चुप्पी साध ली और किसी प्रकार की जानकारी देने से इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार इन्हीं दोनों अधिकारियों की आईडी का उपयोग ऑपरेटरों ने फर्जी खाते बनाने में किया है।
इनका कहना
करीब सौ से ज्यादा डबल आईडी बनी है। इनकी जांच की जा रही है। सभी संबंधितों को नोटिस जारी किए हैं। जांच के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।
-विशालङ्क्षसह चौहान, निगमायुक्त