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एक साथ अर्थियां उठती देख हर आंख हुई नम

locationहनुमानगढ़Published: Oct 01, 2017 08:31:20 pm

Submitted by:

vikas meel

क साथ उठती मां-बेटी की अर्थियां… सैकड़ों की संख्या में मौजूद स्तब्ध ग्रामीण… नम आंखों से परिजनों को ढांढ़स बंधाते बड़े-बुजुर्ग..

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हनुमानगढ़/संगरिया.

एक साथ उठती मां-बेटी की अर्थियां… सैकड़ों की संख्या में मौजूद स्तब्ध ग्रामीण… नम आंखों से परिजनों को ढांढ़स बंधाते बड़े-बुजुर्ग… ऐसा ही दर्दनाक मंजर था संगरिया से करीब सोलह किमी दूर स्थित गांव अमरपुराजालू (खाट) में। शाम को जैसे गाडिय़ां थमीं तो चारों भीड़ लग गई। एंबुलेंस में से सफेद कपड़े में लिपटी मां-बेटी की लाश एक-एक करके उतरी गई तो महिलाएं दहाड़ें मारकर विलाप करने लगी। हर ग्रामीण की आंखें भी नम हो गई। दो दिन पहले हंसते-मुस्कराते पूरे उत्साह के साथ जो बालाजी के दर्शनार्थ सालासर धाम गए थे, उनमें से एक पुरुष को छोड़ बाकी चारों कफन में लिपटकर वापस लौटे।

भाजपा जिला उपाध्यक्ष राजीव सहू तथा रणजीत अक्कूके अनुसार अमरपुराजालू वार्ड तीन निवासी जगदीशप्रसाद फोगिया पुत्र सुल्तान राम जाट अपनी पत्नी कैलाश (36), पुत्री मनीषा उर्फ संजू (18) तथा अपनी रिश्तेदार मल्लडख़ेड़ा तहसील टिब्बी निवासी मीरा (38) पत्नी जगदीश प्रसाद चाहर व भांजी पूनम (18) को साथ लेकर गांव से गुरुवार को सालासर थे। शुक्रवार को परिवार के सदस्य बड़ी खुशी के साथ वापिस लौट रहे थे कि अनियंत्रित होकर इनोवा कार लखूवाली पुल से इंदिरा गांधी नहर में जा गिरी। पानी के तेज बहाव में धमाके के साथ गाड़ी गिरते ही यहां खड़े लोगों में खलबली मच गई। लोगों ने कार से जगदीश को नहर किनारे रस्सों के सहारे निकालकर बचाया पर कार डूब गई। जिसमें दोनों बहनें व दोनों बच्चियां सवार थीं।

रातभर क्रेन, एक्सवेटर मशीन, गोताखोर, पुलिस व परिजन तलाशते रहे। परिजनों को दिलासा देते रहे सब ठीक हैं, लेकिन वे सब्र कब तक रखते? जैसे-जैसे सूचना आती गई ग्रामीण व रिश्तेदार जमा होने लगे। बदहवास महिलाएं पूछती रहीं कि आखिर हुआ क्या है? शनिवार दोपहर साढ़े बारह बजे पूनम, मीरा व कैलाश के शव कार में से लखूवाली हैड के पास ही मिल गए जबकि मनीषा का शव 236 आरडी बिरधवाल हैड के पास अपरान्ह तीन बजे मिला।

नियति देखिए, जो दो दिन पहले घरों से अपने पैरों पर चलकर गए, शाम को दूसरों के कंधों पर लौटे, महिलाएं जो चौका-बर्तन कर घर को संवार कर गई थीं, उन्हीं की लाशें पहुंचने पर घर में मातम छा गया। पुनीत के सिर से मां का साया उठ गया तो बहन मनीषा के दुलार से भी वंचित हो गया। वो दोनों के शव को देखकर बेसुध सा हो गया। आंखें रो-रोकर पथरा गईं। उसके ताऊ रूपराम व रामकुमार के अलावा परिजनों को सभी ढांढस बंधाते दिखे।

दोनों गांवों में दोनों मां-बेटियों की अर्थियां एक साथ उठी तो सब रो पड़े। वहीं, जब चिताओं की लपटें उठी तो बरबस हर किसी की सिसकियां निकल रही थीं। गमगीन माहौल में मां-बेटी कैलाश व मनीषा का अमरपुरा जालू में जबकि मीरा व पूनम का गांव मल्लडख़ेड़ा में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा में सैकड़ों ग्रामीणों सहित महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष गुलाब सींवर, मनोज मूंड, सरपंच आदि शामिल थे।

जगदीश किसानी करता व कार आदि किराए पर चलाता है। उसे हनुमानगढ़ में उपचाराधीन होने से अंतिम क्षणों में अपनी पत्नी व बेटी के दर्शन तक नसीब नहीं हो सके। सूरतगढ़ के कॉलेज में बीएससी द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत मनीषा मेधावी थी। उसका छोटा भाई पुनीत संगरिया के एसकेएम स्कूल की बारहवीं कक्षा में पढ़ता है। पुनीत का मौसा जगदीश चाहर मल्लडख़ेड़ा में किसान है। मौसी मीरा गृहणी तथा मौसेरी बहन पूनम बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी। पूनम का भाई अमित नौंवी कक्षा में है। सभी की जुबां पर एक बात थी कि बाबा की धोक लगाकर आते वक्त ऐसा क्यों हो गया।
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