जालोर. नगरपरिषद टाउन हॉल में गत 31 मार्च को हुई एम्पावर्ड कमेटी की बैठक में गोपनीय तरीके से तीन पत्रावलियों पर कार्यवाही का मामला सामने आया है। खास बात तो यह है कि नगरपरिषद आयुक्त शिकेश कांकरिया ने पत्रिका से बातचीत के दौरान इस बैठक में ऐसी एक भी पत्रावली पर चर्चा करने या प्रस्ताव नहीं लेने की बात कही थी, लेकिन जब इस बैठक की कार्यवाही को लेकर प्रोसीडिंग तैयार की गई तो इसमें ऐसी तीन पत्रावलियों का जिक्र किया गया है जो लम्बे समय से पेंडिंग चल रही थी। आयुक्त कांकरिया का पूर्व में कहना था कि इस बैठक में सिर्फ मुख्यमंत्री बजट घोषणा के तहत स्वीकृत कार्यों की सक्षम स्वीकृति, शहर की साफ सफाई व्यवस्था और विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर निर्णय लिए गए थे। गौरतलब है कि इस बारे में पत्रिका ने १ अप्रेल के अंक में ‘एम्पावर्ड कमेटी की बैठक में सफाई व विकास पर चर्चाÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया गया था कि विधिक जानकारी के अनुसार नगरपरिषद की एम्पावर्ड कमेटी के पास बोर्ड के समान शक्तियां होती हैं। अगर किसी पत्रावली पर बोर्ड की बैठक में निर्णय नहीं हो पाता है तो इस कमेटी के जरिए उस पत्रावली पर पदाधिकारियों की सहमति से निर्णय लिया जा सकता है। मगर आयुक्त के अनुसार इस बैठक में ऐसी किसी पत्रावली पर चर्चा नहीं हुई।
इन पत्रावलियों का उल्लेखएम्पावर्ड कमेटी की बैठक में हुई कार्यवाही को लेकर तैयार की गई प्रोसीडिंग में भूमि आवंटन नीति 2015 से संबंधित कुल तीन पत्रावलियों का उल्लेख किया गया है। इनमें पहली सेवा भारती समिति की पत्रावली पर नगरपरिषद जालोर का जोनल डवलपमेंट प्लान तैयार करने के बाद नगरपरिषद स्तर पर प्रकरण निस्तारित करने का सर्वसम्मति से निर्णय किया गया। इसी तरह दूसरी पत्रावली सुंदेलाव नहर के पास राजााराम महाराज
मंदिर धर्मशाला एवं पुस्तकालय के लिए जमीन आवंटन, वहीं तीसरी राजाराम महाराज बालिका शिक्षण संस्थान के लिए भूमि आवंटन को लेकर पत्रावली पेश की गई। बैठक में इन तीनों मूल पत्रावलियों को आवश्यक कार्यवाही के लिए डीएलबी को भिजवाने का निर्णय किया गया।
आखिर क्या रही होगी वजहएम्पावर्ड कमेटी की बैठक में गोपनीय तरीके से भूमि आवंटन से संबंधित इन मूल पत्रावलियों को डीएलबी भेजने का निर्णय लिया गया। पहले आयुक्त की ओर से इस बारे में मना करना और बाद में प्रोसीडिंग में इन फाइलों का उल्लेख करने के पीछे आखिर क्या वजह रही होगी। इस बारे में आयुक्त से संपर्क करना चाहा, लेकिन उनका फोन बंद था।
ये थे बैठक में मौजूदएम्पॉवर्ड कमेटी की बैठक का आयोजन विशिष्ठ आमंत्रित सदस्य विधायक अमृता मेघवाल, अध्यक्ष एसडीएम राजेंद्रसिंह सिसोदिया, सदस्य सभापति भंवरलाल माल, आयुक्त शिकेश कांकरिया, एक्सईएन विनय बोड़ा, जेईएन शैलेंद्र यादव व विधि सलाहकार रणजीतसिंह राजपुरोहित की मौजूदगी में हुई थी।
मीडिया कवरेज के लिए किया था मनाएम्पॉवर्ड कमेटी की बैठक के कवरेज के लिए मीडियाकर्मी भी नगरपरिषद टाउन हॉल में पहुंचे थे। बैठक शुरू होने के कुछ देर तक मीडियाकर्मी वहां मौजूद रहे, लेकिन कुछ देर बाद ही अध्यक्ष सिसोदिया ने कवरेज के लिए मना कर दिया। इसके बाद इन पत्रावलियों पर चर्चा कर डीएलबी भेजने का निर्णय किया गया।
ये कहा था आयुक्त ने…आयुक्त कांकरिया ने बताया था कि एम्पॉवर्ड कमेटी की बैठक में कार्यवाही योग्य ऐसा कोई मुद्दा नहीं होने से किसी भी पत्रावली पर निर्णय नहीं लिया गया। बैठक में बजट घोषणा 2018-19 के तहत अम्बेडकर भवन, श्मशान भूमि का विकास व दो सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण व बजट घोषणा 2017-18 के तहत सड़क सुदृढ़ीकरण की सक्षम स्वीकृति जारी की गई। इसके अलावा बैठक में शहर की सफाई व्यवस्था पर जोर देने व विकास के कार्यों पर चर्चा कर निर्देश दिए। वहीं इस दौरान सफाई व्यवस्था के लिए १ रोड स्वीपर, घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 10 टैक्सी, 1 बड़ा बिन लिफ्टर व एक लोडर मशीन खरीदने का निर्णय किया गया था।
इनका कहना है…बैठक में इन पत्रावलियों के बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं किया गया है। बोर्ड की बैठकें लम्बे समय से नहीं हो रही थी। इसलिए ये तीन पत्रावलियां डीएलबी को कार्यवाही के लिए भिजवाई गई हैं। यह भी जरूरी नहीं है कि डीएलबी इन पत्रावलियों पर स्वीकृति जारी करे।
– राजेंद्रसिंह सिसोदिया, अध्यक्ष, एम्पॉवर्ड कमेटी
मैंने कमेटी अध्यक्ष एसडीएम राजेंद्रसिंह सिसोदिया से इन पत्रावलियों के बारे में पूछा था। जिसके जवाब में उन्होंने ऐसी कोई जानकारी नहीं होने की बात कहकर लेखाधिकारी से जानकारी लेने को कहा। जबकि प्रोसीडिंग में तीन पत्रावलियों से संबंधित कार्यवाही का जिक्र है और प्रोसीडिंग पर उनके इस पर हस्ताक्षर भी हो रखे हैं। इनमें से चौधरी समाज से संबंधित दो पत्रावलियों पर कुछ आपत्तियां भी हैं। वहीं बैठक के दिन संबंधित शाखा का बाबू भी छुट्टी पर था। इसके बावजूद ये पत्रावलियां पेश की गईं, लेकिन इनके अलावा भी कई पत्रावलियों पर निर्णय किया जा सकता था।
– जितेंद्रकुमार प्रजापत, पार्षद
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