श्री रामायन मौर्या आतंकी हमले में शहीद हुए विजय मौर्या के पिता हैं। देवरिया के भटनी के छपिया जयदेव गांव के 30 साल के विजय मौर्या सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में थे। उनकी ड्यूअी जम्मूकश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में थी। 2 फरवरी को वह घर छुट्टी पर आए थे। 10 फरवरी को वह घर से ड्यूटी पर लौटे थे।
गुरुवार की शाम को सीआरपीएफ में डीएसपी के पद पर तैनात उनके चचेरे भाई राजेश मौर्य ने मोबाइल पर फोन कर विजय मौर्य के आतंकी हमले के बाद नहीं पता चलने की सूचना दी। सूचना मिलते ही पूरे घर में कोहराम मच गया।
विजय के घर उनके वृद्ध पिता रामायन मौर्य को अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि उनका बेटा शहीद हो चुका है। दिल को अभी भी किसी चमत्कार की उम्मीद है। पत्नी विजय लक्ष्मी देवरिया में किराये के मकान में रहती हैं। सूचना मिलने के बाद उनका रो रोकर बुरा हाल है। चार साल की बेटी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पापा कहां गए।
गुरुवार की शाम को सीआरपीएफ में डीएसपी के पद पर तैनात उनके चचेरे भाई राजेश मौर्य ने मोबाइल पर फोन कर विजय मौर्य के आतंकी हमले के बाद नहीं पता चलने की सूचना दी। सूचना मिलते ही पूरे घर में कोहराम मच गया।
विजय के घर उनके वृद्ध पिता रामायन मौर्य को अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि उनका बेटा शहीद हो चुका है। दिल को अभी भी किसी चमत्कार की उम्मीद है। पत्नी विजय लक्ष्मी देवरिया में किराये के मकान में रहती हैं। सूचना मिलने के बाद उनका रो रोकर बुरा हाल है। चार साल की बेटी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पापा कहां गए।