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उत्तराखंड: कैसे लगाए मौसम का पूर्वानुमान, पूरे वेदर स्टेशन नहीं हुए स्थापित, जो है वो भी नहीं हुए चालू

locationदेहरादूनPublished: Feb 18, 2019 04:32:10 pm

आटोमेटिक वेदर स्टेशन के अंतर्गत एक रेन गेज और दूसरा स्नो गेज के यंत्र स्थापित किए जाते हैं…
 

file photo

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(देहरादून): उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मौसम वैज्ञानिकों की ओर से आटोमेटिक वेदर स्टेशन को उत्तराखंड में स्थापित करने के सुझाव 15 साल पहले दिए गए ताकि बारिश और हिमपात जैसी घटनाओं की पूर्व जानकारी मिल सके। लेकिन विडम्बना यह है कि बड़ी मुश्किल से उत्तराखंड में करीब 130 आटोमेटिक वेदर स्टेशन ही अब तक स्थापित हो पाए हैं। जबकि पूरे प्रदेश में 176 आटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित होने हैं। खास बात यह है कि इससे भी जरूरी है आटोमेटिक वेदर स्टेशन का शुरू होना जो अब तक नहीं हो पाया है। जब तक आटोमेटिक वेदर स्टेशन पूरी तरह से उत्तराखंड में स्थापित नहीं हो जाता तब तक वहां से रेन गेज और स्नो गेज के बारे में सूचनाएं नहीं मिल पाएंगी। सूचनाएं सटीक मिलेंगी तो ही राहत और बचाव कार्यों में लोगों की मदद मिल पाएगी।


आटोमेटिक वेदर स्टेशन से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग बारिश की गति और हिमपात की परतों में हो रहे परिवर्तन का डाटा संग्रह करेगा। उसके बाद आटोमेटिक वेदर स्टेशन से प्राप्त आंकड़ों का विशलेषण किया जाएगा। उसके बाद जो भी महत्वपूर्ण सूचनाएं होंगी। सभी जनपदों को उपलब्ध कराएगा। लेकिन विभाग मौजूदा हालात में कुछ भी करने में असमर्थ है। क्योंकि तमाम कोशिशों के बाद भी आटोमेटिक वेदर स्टेशन कार्य नहीं कर पा रहे हैं। माना जा रहा है कि जब शेष बचे 46 आटोमेटिक वेदर स्टेशन प्रदेश में स्थापित हो जाएंगे। उसके बाद वहां से मौसम संबंधी सूचनाएं आने लगेंगी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का साफ साफ कहना है कि आटोमेटिक वेदर स्टेशन को स्थापित करने की जिम्मेदारी उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की है।


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से और प्रदेश साकार के बीच में केवल तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराने के लेकर ही अनुबंध हुए हैं। शेष सारी जिम्मेदारी आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की है। आटोमेटिक वेदर स्टेशन के लिए ज्यादा भूखंड की जरूरत भी नहीं पड़ती है। अब तक अधिकतर आटोमेटिक वेदर स्टेशन पूरे प्रदेश में सरकारी दफ्तरों की जमीन पर ही स्थापित किए गए हैं। क्योंकि इसके लिए महज 15 से 20 वर्ग मीटर ही जमीन की जरूरत पड़ती है। जो अमूनन सरकारी दफ्तों में आसानी से मिल जाते हैं। बावजूद 46 आटोमेटिक वेदर स्टेशन का अब तक स्थापित नहीं होना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।


माना जा रहा है कि नौकरशाही शेष बचे आटोमेटिक वेदर स्टेशनों को स्थापित करने को लेकर गंभीर नहीं है। इसकी वजह से करीब दो साल से आटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित करने का प्रकरण फंसा हुआ है। यहां बताते चलें कि इसका यंत्र ज्यादा महंगा भी नहीं है। एक यंत्र की कीमत 4 लाख के आसपास है। साथ ही इसको स्थापित करने में राज्य सरकार की ओर से एक नया पैसा भी नहीं लगना है। सारी फंडिंग विश्व बैंक की है। बावजूद प्रदेश की सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है।


आटोमेटिक वेदर स्टेशन के अंतर्गत एक रेन गेज और दूसरा स्नो गेज के यंत्र स्थापित किए जाते हैं। जिससे बारिश और हिमपात की सूचनाएं मिलती हैं। जिसका भारतीय मौसम विज्ञान विभाग अध्ययन करता है।


‘तकनीकी सलाह उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है लेकिन यह तभी संभव है जब आटोमेटिक वेदर स्टेशन पूरे उत्तराखंड में स्थापित हो जाएगा। अभी पूरे स्थापित नहीं हुए हैं। इसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार की है। जब शुरू हो जाएगा तब मौसम संबंधी मिलने वाली सूचनाओं पर विशलेषण किया जा सकता है। भारतीय मौसम विज्ञान तो आटोमेटिक वेदर स्टेशन शुरू होने का इंतजार कर रहा है।…विक्रम सिंह ,निदेशक ,राज्य मौसम केंद्र


‘ तहसील स्तर पर आटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। इस दिशा में काफी काम हो चुके हैं। जल्द ही शेष बचे वेदर स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए फंड की कोई दिककत नहीं है। पूरी फंडिंग विश्व बैंक द्वारा की जा रही है। स्थापित करने को लेकर एक सर्वेक्षण होना है जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। चिंता जैसी कोई बात नहीं है। कोशिश की जा रही है कि जल्द ही वेदर स्टेशन शेष तहसीलों में स्थापित कर लिया जाए। ’…डा.पीयूष रैतेला ,निदेशक ,आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र

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