जानकारी के मुताबिक खाद्यान्न विभाग की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की तरह शराब की बिक्री पर भी ऑनलाइन नजर रखी जाएगी। इसके तहत फैक्ट्री व उसके जहां स्पलाई की जानी है उसकी दूरी का आकलन किया जाएगा। इसके बाद शराब स्पलाई करने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम इंस्टॉल होंगे। इससे ऑनलाइन यहां तक यह देखा जा सकेगा कि वाहन को रास्ते में कही रोका तो नहीं गया। इस पूरी व्यवस्था को लागू करने के लिए विश्व बैंक द्धारा आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाएगी। इसके लिए आबकारी विभाग द्धारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
बता दें कि उत्तराखंड में आबकारी विभाग राजस्व का एक बड़ा साधन है। इस साल प्रदेश सरकार ने आबकारी राजस्व के लिए लगभग तीन हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा है। वहीं राज्य में अवैध शराब के बड़े रैकेट ऑपरेट कर रहे हैं। जिससे राज्य को राजस्व में भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में सरकार ने डिस्टलरी से शराब की दुकान तक ऑनलाइन ट्रेकिंग की व्यव्स्था करना शुरू कर दी है।
इसके अलावा ही राज्य सरकार द्धारा होलोग्राम को ट्रैक करने की भी व्यवस्था की जाएगी। इससे एक बार क्लिक करने पर पता चल जाएगा कि कि होलोग्राम किस फैक्ट्री को आवंटित किए गए हैं। इससे काफी हद तक अवैध शराब के धंधे पर अंकुश लग सकेगा