व्यवस्था नहीं सुधरने के पीछे मूल वजह पर्यटन विभाग के साथ चारधाम से जुड़े विभागों के साथ सामंजस्य नहीं होना बताया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने मुख्यमंत्री से भी बात की है। सबसे बड़ी दिक्कत पेय जल की है। बद्रीनाथ में तो भयावह स्थिति बनी हुई है। गंगोत्री और यमुनोत्री में पानी का संकट बरकरार है। गंगोत्री और यमुनोत्री में तो काफी संख्या में अस्थाई टायलेट बनाए गए हैं लेकिन इन टायलेट में पानी की सुविधा अब तक नहीं हो पायी है। कई स्थानों पर तो पाइप सडक़ के किनारे पड़े हुए हैं लेकिन पाइपों को जोड़ा नहीं गया है जिससे टायलेट में पानी उपलब्ध नहीं है। गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्रों में सडक़ के किनारे लगे हैंड पंपों की स्थिति काफी बदतर है। कई तो चार माह से खराब पड़े हुए हैं। बद्रीनाथ में भी यही स्थिति बनी हुई है।
दरअसल सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि चंद माह पहले प्रदेश में हुई बर्फबारी की वजह से पेयजल की लाइने काफी मात्रा में क्षतिग्रस्त हुई हैं। उम्मीद जताई गयी थी चारधाम यात्रा शुरू होने के पहले क्षतिग्रस्त पेय जल की पाइप लाइनों को दुरुस्त कर लिया जाएगा। लेकिन आचार संहिता लगने की वजह से फंड रिलीज नहीं हो पाया है। जिससे क्षतिग्रस्त पाइन लाइन को अब तक ठीक नहीं किया जा सका है।
सडक़ों और संपर्क मार्गों की स्थिति में भी उतनी सही नहीं है हालांकि बद्रीनाथ और केदारनाथ क्षेत्र में तो टूटी फूटी मुख्य सडक़ों को ठीक किया गया है पर संपर्क मार्गों की स्थिति अब भी बदतर है। सूत्रों की मानें तो केवल चारधाम यात्रा मार्ग क्षेत्रों में 176 के आसपास संपर्क मार्ग अब भी उबड़ खाबड़ पड़े हुए हैं। इन सभी को चारधाम यात्रा शुरू होने के पहले ठीक किया जाना था लेकिन अब तक नहीं हो पाया है। आल वेदर रोड के बारे में पर्यटन विभाग का कहना है कि
चारधाम यात्रा जब चरम पर होगी तब आल वेदर रोड का काम रोक दिया जाएगा। सबसे बड़ी दिक्कत गंगोत्री और यमुनोत्री वाले रास्ते में तीर्थयात्रियों के सामने आएगी। क्योंकि आल वेदर रोड का मलवा सडक़ों के किनारे ही फैला हुआ है। जिससे वाहनों के आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। अभी तो यात्रा की शुरूआत हुई है। वाहनों का जाम लगना शुरू हो गया है। इसके अलावा पर्यटन पुलिस की तैनाती की बात थी लेकिन यात्रा मार्गों में पर्यटन पुलिस नजर नहीं आ रही है। दरअसल इन अव्यवस्थाओं के पीछे पर्यटन विभाग के साथ पीडब्ल्यूडी, पेय जल और ऊर्जा विभागों के बीच आपसी सामंजस्य का नहीं होना साफ झलकता है। समन्वय की कमी को लेकर पिछले दिनों पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की और विस्तृत जानकारी भी दी है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि सामंजस्य बिठाकर ही काम किया जाए। यदि संबंधित विभाग के अधिकारी लापरवाही बरतते हैं तो सरकार सख्त कदम उठाएगी।
इधर मिली जानकारी के मुताबिक चारधाम यात्रा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पिछले 7 माह से बैठकें की जा रही है। माना जा रहा हैकि सरकार ने अब तक हुई बैठकों का ब्योरा पर्यटन विभाग से मांगा है। ताकि चारधाम की तैयारियों को लेकर कब और क्या आदेश दिए गए हैं। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि आचार संहिता खत्म होते ही पेय जल की किल्लत को दूर कर लिया जाएगा। संपर्क मार्गों को दुरुस्त करने का काम शुरू है। मई माह तक सारे काम पूरा कर लिए जाएंगे।