कहीं पहले की तरह कागजों तक सीमट कर नहीं रह जाए उद्योग
उत्तराखंड के लोगों को इन्वेसटर्स समिट से कितना लाभ पहुंचेगा। यह तो भविष्य में ही पता चल पाएगा। लेकिन यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि कांग्रेस के समय में जब एनडी तिवारी मुख्यमंत्री थे उस समय काफी संख्या निवेशक उत्तराखंड आए। अनुबंध भी हुआ लेकिन अनुबंध का कोई फायदा उत्तराखंड को नहीं मिला। अनुबंध का फायदा केवल उद्योगपतियों को ही मिला। उद्योग बिठाने के नाम पर उद्योपतियों ने सरकार से मिलने वाले छूट को जमकर बटोरा। उद्योग कागजों पर ही दिखे। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बात सरकार भी बखूबी जानती है। उसके बाद भी किसी भी उद्योगपति के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं किए गए।
राज्य में पानी, बीजली की चौपट व्यवस्था लगा सकती है ग्रहण
यह बात सभी जानते हैं कि उद्योग के लिए पानी ,सडक़ और बिजली की आवश्यकता पड़ती है। उत्तराखंड में नदियों का पानी पिछले चार सालों से कम हो रहा है। इस दिशा में सरकार अब तक कोई कदम ही नहीं उठा पाई है। 1500जल स्त्रोत पिछले पांच सालों में सूख गए हैं। पर सरकार को कोई चिंता ही नहीं है। सडक़ों का काफी बुरा हाल है। बिजली की स्थिति पिछले दो सालों से काफी बदतर है। गांवों की बात क्या की जाए। बिजली तो शहरी क्षेत्रों में भी अनियमित है।
बढ़ रही है अपराधिक गतिविधियां
कांग्रेस इसको लेकर कई बार मुद्दा बना चुकी है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड की विधि व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। हत्याएं और डकैती में तेजी के साथ वृद्धि हो रही है। एेसे में उद्योगपति क्या करेंगे। यह बात समझ के परे है। भाजपा के सांसद भी दबी जुबान से यह कह रहे हैं कि सबसे पहले सरकार को उत्तराखंड की बुनियादी समस्याएं सडक़ और बिजली की व्यवस्था को दुरुस्त करनी चाहिए। वरना उद्योगपति उत्तराखंड से पलायन कर जाएंगे। यदि उद्योगपतियों को आवश्यक सुविधाएं नहीं दी जाएंगी तो आखिर उद्योगपति उत्तराखंड में उद्योग क्यों स्थापित करना चाहेंगे।
‘ निवेश से स्थानीय लोगों को काफी फायदा है। सडक़ें अच्छी हैं और बिजली व्यवस्था भी सही है। निवेश का असर तुरंत तो नहीं बल्कि कुछ साल बाद जरूर दिखेगा। सरकार विकास के कार्यों में लगी हुई है। ’ त्रिवेंद्र सिंह रावत ,मुख्यमंत्री ,उत्तराखंड