राज्य में बढ़ते हुए श्रद्धालुओं की संख्या की तुलना में सरकारी व्यव्स्थाएं चरमरा रही हैं। केदारनाथ आपदा 2013 के बाद इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ तीर्थयात्रियों का आगमन जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते अगर सरकार ने व्यवस्था में सुधार नहीं किया तो बड़ी बात नहीं कि आने वाले समय में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिले।
वीवीआईपी और आम, 2 कैटेगरी में बंटे श्रद्धालु
तीर्थयात्रियों के बढ़ते हुए आगमन को देखते हुए केदार नाथ में वीवीआईपी दर्शन पर भीड़ को देखते हुए बैन लगा दिया गया। इसके बावजूद आमजन तीन—तीन से दर्शन के इंतजार में बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन चेक कराते हुए दर्शन के लिए जूझ रहे हैं। वहीं वीवीआईपी हेलीकॉप्टर से आकर लाइन में लगे बिना एक घंटे में दर्शन कर वापस हो ले रहे हैं। विरोध करने पर भी पुलिस आमजन के स्वर को दबाने के लिए मौके पर तैनात हैं।
वीवीआईपी की समस्या से दो चार होने के बाद आमजन को प्यास लगी तो दो लीटर की एक बोतल के दो सौ रुपए से तीन सौ रुपए तक देने पड़ सकते हैं। खाने के लिए प्रति व्यक्ति दो सौ रुपए ढ़ाबे पर देने पड़े तो कोई अचरज नहीं। मौसम की मार पड़ने पर अगर किसी डारमेटरी में कमरे की कीमत पांच गुना तक देनी पड़ सकती है।
केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा शुरू हो चुकी है। हांलाकि पांच हजार के टिकट बीस हजार तक धडल्ले से बेचे जा रहे हैं। मजबूरी के चलते केदार बाबा के दर्शन के लिए टिकट खरीदने से भी नहीं चूक रहे। हेली सेवा के टिकट के लिए वीवीआईपी की सिफारिशें लगातार चल रही हैं। इस पर भी टिकट हो जाए तो केदार बाबा की कृपा।
कैश की मारामारी, एजेंटों की चांदी
चारधाम यात्रा के दौरान रास्ते में एटीएम तो कई मिले, मगर रुपए की बात मत सोचिए। गुप्तकाशी से सिरसी जा रहे रितेश सिंह परिवार के साथ केदारनाथ जाने के लिए हेलीकॉप्टर का पेमेंट करने के लिए कैश की जरूरत पडी। एसबीआई और पीएनबी का एटीएम का शटर गिरा मिला। इस बीच दलाल ने 25 हजार कैश देने के बदले दो हजार पांच सौ रुपए मांगा। वे मना कर आगे बढ़ गए फाटा में लंबी लाइन लगा कर कैश निकाला। हांलाकि इससे यह सवाल खड़े हो गए कि हो क्या रहा था?
सरकार के नाकाफी इंतजामों से और भी कठीन हुई केदार यात्रा
पैदल मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भले ही सरकार चिकित्सा व्यवस्था के ऊंचे-ऊंचे दावे कर रही हो। इसके उल्टे केदारनाथ में २३ यात्रियों की दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत कुछ और ही कहानियां बयान करती हैं। पालकियों से लेकर घोडों तक की दो से तीन दिन की एडवांस बुकिंग तक हो रही है। अगर टिकट जल्दी चाहिए तो इसके लिए भी श्रद्धालुओं को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है। रुपए नहीं तो करते रहिए इंतजार अपनी बारी का। सरकार द्वारा तय दरें सोनप्रयाग से केदारनाथ बेस कैंप तक 2500 रुपए तक, केदारनाथ बेस कैंप से सोनप्रयाग लौटने की दरें 1700 रुपए है। दोनों के लिए ही डेढ हजार रुपए तक ज्यादा देना पड़ सकता है। यहीं दरें ब्लैक में दूसरे रुट के लिए भी लागू होती है।
बदरीनाथ में ठहरने के लिए जुगाड का सहारा,वीवीआईपी को सीधे दर्शन
बदरीनाथ के दर्शन को सीधे पहुंचने में थोडी कम कठिनाई होती है। लेकिन, होटल के कमरों की अनुपलब्धता व गेस्ट हॉउस में जगह न होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इलाके के होटल कमाने के चक्कर में कोई जेब काटने में कसर नहीं छोड़़ते यही हाल अन्य होटलों का है। हांलाकि यह नियम किसी वीवीआईपी पर लागू नहीं होता। जुगाड़ है तो दर्शन के लिए लाइन भी नहीं लगानी पड़ती है। कितनी भीड़ है यह मायने नहीं रखता। वीवीआईपी गेस्ट को गुजराती भवन में रुकवा दिया जाता है। मौका देखते ही दर्शन के लिए अंदर भेज दिया जाता है। इसके अलावा खाने से लेकर हर एक वस्तु एमआरपी से ज्यादा बिकती नजर आएगी। बढ़ते रोजगार के साथ श्रद्धालुओं के साथ लूटमार भी देखने को मिलेगी। इस बीच एक गार्ड के हटते ही भीड़ भी बेकाबू हो उठती है, मानो एक दूसरे पर चढ़कर बद्री विशाल के दर्शन के लिए जाएंगे। इसके अलावा बद्रीनाथ में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है।
समझ से बाहर तेल का तिलस्म
होटल पहुंचते—पहुंचते लंगसी चमोली स्थित पेट्रोल पंप पर पेट्रोल पंप बंद मिला। स्थानीय निवासियों का कहना था कि यहां से डीजल ब्लैक किया जाता है। इस बारे में जब मैनेजर से जब जानने के लिए संपर्क कर मैनेजर के बारे में पूछा तो सेल्समैन ने जवाब दिया जिलाधिकारी को भी बोलना है, तो बोल दो तेल तो नहीं मिलेगा।
थोडा आगे गढ़वाल मंडल विकास मंडल निगम, पीपलकोटी के पेट्रोल पंप पर पर पुलिस तैनात थी। यात्रियों को फ्यूल नहीं भराने दिया जा रहा था। सिफारिश करने पर गाड़ी का नंबर लेकर तेल भरा जा रहा था। किसी भी यात्री कि गाड़ी में पांच सौ रुपए से ज्यादा तेल नहीं भरा जा रहा था। दबाव आने पर दो हजार रुपए का तेल दिया जा रहा था। आसपास के पेट्रोल पंप का भी कुछ यही हाल था।
आखिर दिक्कत क्यों है, यह जानने के लिए पेट्रोल पंपकर्मी से पूछा गया तो नाम न बताने की शर्त पर उसने बताया कि जरूरत के मुताबिक तेल की सप्लाई नहीं की जा रही है। इसके अलावा होटलकर्मियों व स्थानीय निवासियों ने तेल खरीद कर जमाखोरी कर ली। इसके बाद वह श्रद्घालुओं को यह तेल ऊंचे दाम पर बेचते नजर आए। तेल की सप्लाई ठीक से न होने के कारण इलाके में जाम की स्थिति लगातार बनी रहती है।
जेब पर कैची चलाती ट्रैवल्स कंपनियां
इसका सीधा असर यह हो रहा है कि श्रद्धालुओं को तीन दिन के लिए हरिद्वार से बदरीनाथ जाने के लिए बीस हजार रुपए नॉन एसी गाडी का भुगतान करना पड़ रहा है। इसके साथ ही स्विफ्ट डिजॉयर जैसी गाडियों के लिए चार धाम यात्रा के लिए चालीस हजार रुपए व इऩोवा का साठ हजार रुपए भुगतान करना पड़ रहा है। इस पर किसी का लगाम नहीं है। जिसका जो मन आए वसूली चल रही है। हरिद्वार में विशाल भट्ट के माता—पिता को एसी गाडी मिलने पर नॉन एसी गाडी कैंसिल कर दी गई। इस पर ट्रैवेल्स कंपनी ने थोडी दूर चलाने के तीन हजार रुपए काट लिए।
सड़कों में ब्लैक हॉल जैसे गढ्ढे!
इतना ही नहीं चारधाम योजना के चलते डायवर्जन के सही निशान न होने के कारण ऐसे गढ्ढे बन चुके हैं जिसमें बस तक समा जाए। कई किलोमीटर तक लगा जाम। बद्रीनाथ हाईवे पर पांच किलोमीटर तक के जाम का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच बच्चों व महिलाओं को भूख प्यास बर्दाशत करनी पड़ती है। इसकी चिंता करने वाला कोई नहीं। ट्रैफिक के बढ़ते दबाव व कम संसाधन के आगे पुलिस भी लाचार नजर आती है।
यमुनोत्री व गंगोत्री धाम में सभी व्यवस्थाएं चरमराई हुई
इसके साथ यमुनोत्री व गंगोत्री धाम की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है। बदहाल सड़कें व खराब दूरसंचार व्यवस्था के चलते पर्यटकों पर क्या असर पड़ेगा, यह पूछने वाला कोई नहीं है। पूरे क्षेत्र में ऑल वेदर रोड, डेंजर जोन ही नजर आता है। यमुनोत्री में अब तक कुल नौ लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा गंगोत्री यात्रा में बदहाल बिजली व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा, पार्किंग, सुरक्षा व्यवस्था सरकार के तमाम दावों को खारिज करती है।