Mismanagement of water supply department in Bandikui दो करोड़ खर्च, फिर भी नहीं हैं चालू
जलदाय विभाग की ओर से करीब चार साल पहले शहरी क्षेत्र में करीब 40 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 60 से अधिक एकलबिंदु नलकूपों का निर्माण करा दिया गया। एक नलकूप पर करीब दो लाख रुपए का खर्चा हुआ। जलदाय विभाग ने टंकी भी रख दी, लेकिन इन नलकूपों पर आज तक बिजली कनेक्शन नहीं हुआ है। ऐसे में ये नलकूप बंद पड़े हैं।
जलदाय विभाग की ओर से करीब चार साल पहले शहरी क्षेत्र में करीब 40 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 60 से अधिक एकलबिंदु नलकूपों का निर्माण करा दिया गया। एक नलकूप पर करीब दो लाख रुपए का खर्चा हुआ। जलदाय विभाग ने टंकी भी रख दी, लेकिन इन नलकूपों पर आज तक बिजली कनेक्शन नहीं हुआ है। ऐसे में ये नलकूप बंद पड़े हैं।
आरओ प्लांट धूल फांक रहे
जलदाय विभाग की ओर से लोगों को फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2017 में बिवाई, बास बिवाई, उरवाड़ी, गुल्लाना एवं पीचूपाड़ा खुर्द सहित 15 जगहों पर आरओ प्लांट लगाए थे। इन आरओ प्लांट पर नलकूप निर्माण, मशीन, मोटर एवं टंकी लगाए जाने पर प्रति प्लांट 10 से 12 लाख रुपए खर्च किए गए। ऐसे में इन आरओ प्लांटों पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन अधिकांश प्लांट खराब पड़े हैं तो कहीं पानी के अभाव में बंद हैं। मरम्मत व सार-संभाल के अभाव में प्लांट चालू नहीं होने से लोगों को खारा पानी पीकर ही प्यास बुझानी पड़ रही है।
जलदाय विभाग की ओर से लोगों को फ्लोराइडयुक्त पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2017 में बिवाई, बास बिवाई, उरवाड़ी, गुल्लाना एवं पीचूपाड़ा खुर्द सहित 15 जगहों पर आरओ प्लांट लगाए थे। इन आरओ प्लांट पर नलकूप निर्माण, मशीन, मोटर एवं टंकी लगाए जाने पर प्रति प्लांट 10 से 12 लाख रुपए खर्च किए गए। ऐसे में इन आरओ प्लांटों पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन अधिकांश प्लांट खराब पड़े हैं तो कहीं पानी के अभाव में बंद हैं। मरम्मत व सार-संभाल के अभाव में प्लांट चालू नहीं होने से लोगों को खारा पानी पीकर ही प्यास बुझानी पड़ रही है।
टंकी को नहीं जोड़ा
जलदाय विभाग की ओर से वर्ष 2008 में गुढ़ाकटला में करीब 40 लाख की पेयजल योजना स्वीकृत कर नलकूप व टंकियों का निर्माण कराकर बिजली कनेक्शन भी कर दिया गया, लेकिन नलकूप से टंकी तक पाइप लाइन जोडऩे का कार्य नहीं करने से यह योजना धूल फांक रही है। इसके अलावा बिवाई, मितरवाड़ी, देलाड़ी, ऊनबड़ा गांव-पामाड़ी, सुधारनपाड़ा-नांगल झामरवाड़ा, पंडितपुरा में भी टंकियां सूखी पड़ी हुई है। ऐसे में सवाल उठता हैकि जब योजना सफल नहीं कराई जा रही तो बजट क्यों फूंका जा रहा है।
जलदाय विभाग की ओर से वर्ष 2008 में गुढ़ाकटला में करीब 40 लाख की पेयजल योजना स्वीकृत कर नलकूप व टंकियों का निर्माण कराकर बिजली कनेक्शन भी कर दिया गया, लेकिन नलकूप से टंकी तक पाइप लाइन जोडऩे का कार्य नहीं करने से यह योजना धूल फांक रही है। इसके अलावा बिवाई, मितरवाड़ी, देलाड़ी, ऊनबड़ा गांव-पामाड़ी, सुधारनपाड़ा-नांगल झामरवाड़ा, पंडितपुरा में भी टंकियां सूखी पड़ी हुई है। ऐसे में सवाल उठता हैकि जब योजना सफल नहीं कराई जा रही तो बजट क्यों फूंका जा रहा है।
10 दिन में एक बार सप्लाई
जलदाय विभाग के कुप्रबंधन से शहरी क्षेत्र में तो हालात ये हैं कि 10 से 12 दिन में एक बार पानी मिल रहा है, वह भी मात्र आधा घण्टे। पानी सप्लाई का भी कोई समय तय नहीं है। लोगों को इंतजार में दिन-रात निगाह रखनी पड़ती है। कई कॉलोनियों में लोग निजी नलकूपों से रात को दुपहिया वाहनों पर पानी के बर्तन रखकर ले जाते दिखाई देते हैं।
जलदाय विभाग के कुप्रबंधन से शहरी क्षेत्र में तो हालात ये हैं कि 10 से 12 दिन में एक बार पानी मिल रहा है, वह भी मात्र आधा घण्टे। पानी सप्लाई का भी कोई समय तय नहीं है। लोगों को इंतजार में दिन-रात निगाह रखनी पड़ती है। कई कॉलोनियों में लोग निजी नलकूपों से रात को दुपहिया वाहनों पर पानी के बर्तन रखकर ले जाते दिखाई देते हैं।
शहर की करीब 65 हजार आबादी है। प्रति व्यक्ति 100 लीटर पानी के हिसाब से 65 लाख लीटर पानी की प्रतिदिन आवश्यकता है, लेकिन जलदाय विभाग के पास मौजूद जलस्त्रोत व अन्य संसाधनों से मात्र 16 लाख लीटर ही पानी प्रतिदिन एकत्र होता है।
जांच कराकर मंगाएंगे रिपोर्ट
जहां भी पेयजल योजनाओं का निर्माण किया गया। वहां जांच कराकर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। यदि कहीं पाइप लाइन अधूरी पड़ी है या टंकी से नहीं जोड़ी है तो उसे जुड़वाकर पानी सप्लाई चालू की जाएगी। आरओ प्लांटों की भी मरम्मत कराकर चालू कराए जाने के लिए प्रयासरत हैं।
-राजेश कुमार शर्मा, सहायक अभियंता बांदीकुई
जहां भी पेयजल योजनाओं का निर्माण किया गया। वहां जांच कराकर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। यदि कहीं पाइप लाइन अधूरी पड़ी है या टंकी से नहीं जोड़ी है तो उसे जुड़वाकर पानी सप्लाई चालू की जाएगी। आरओ प्लांटों की भी मरम्मत कराकर चालू कराए जाने के लिए प्रयासरत हैं।
-राजेश कुमार शर्मा, सहायक अभियंता बांदीकुई