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इंजन में पानी खत्म हो जाए तो बाल्टियां ही बनी सहारा…

locationदौसाPublished: Jan 22, 2019 10:13:55 am

Submitted by:

Rajendra Jain

रेलवे का बंद पड़ा है हाइडेंट सिस्टम : जयपुर से रेवाड़ी के बीच मात्र बांदीकुई में भरा जाता था पानी

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इंजन में पानी खत्म हो जाए तो बाल्टियां ही बनी सहारा…

बांदीकुई. यदि किसी पॉवर(ईंजन) में पानी खत्म हो जाए। तो रेलकर्मियों को बाल्टियों से ही ईंजन में पानी भरकर गंतव्य के लिए रवाना करना पड़ेगा। क्योंकि यहां लगा हाइडेंट सिस्टम बंद पड़ा है। जबकि इन दिनों अलवर-बांदीकुई दोहरीकरण का कार्य चल रहा है। इसमें कई मेंटीनेंस ट्रेनें भी लगी हुई हैं। जिनमें रेलवे स्टेशन पर बाल्टियों से पानी भरकर काम चलाना पड़ रहा है, लेकिन रेल प्रशासन का हाइडेंट सिस्टम को चालू किए जाने की ओर कोई ध्यान नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक जयपुर से रेवाड़ी के बीच एक मात्र बांदीकुई जंक्शन पर ही ट्रेनों में पानी भरने के लिए हाइडेंट सिस्टम स्थापित किया गया था, लेकिन रेल प्रशासन की ओर से कई वर्ष से भूजल स्तर गिर जाने व पानी के घटते उत्पादन के चलते हाइडेंट सिस्टम बंद कर रखा है। वहीं रेलवे ट्रेक के बीच में ट्रेनों में पानी भरने के लिए लगाए गए पाइप भी रेल प्रशासन की ओर से हटा दिए गए। ऐसे में किसी इंजन(पॉवर) में पानी खत्म होने पर रेलकर्मियों को बाल्टियों से पानी डालकर काम चलाना पड़ता है। सेवानिवृत्त लोको पायलट रामविलास तिवाड़ी का कहना है कि पॉवर को ठण्डा रखने के लिए टैंक बना होता है। जिसमें से पाइप के जरिए पानी पंखे तक पहुंचता है। इससे पानी के साथ पंखा चलने से पॉवर गर्म नहीं होता है।
पानी खत्म होने पर बोतल लेकर जाना मजबूरी
ब्रिटीशकालीन समय में विकसित किया गया बांदीकुई रेलवे जंक्शन भी भूजल स्तर गिर जाने से पानी की मार झेल रहा है। हाइडेंट सिस्टम के बंद होने से यात्रियों के लिए परेशानी बनी हुई है। क्योंकि ट्रेनों में स्थित शौचालयों मं पानी खत्म हो जाए तो यात्रियों को पानी की बोतल खरीदकर ही शौच जाना पड़ता है। ट्रेनों में रेवाड़ी या फिर जयपुर में ही पानी भरा जाता है। इसके बीच पानी की कोई सुविधा नहीं है।
ट्रेक की धुलाई के आ रहा है काम : रेलवे की ओर से हाइडेंट सिस्टम को बंद कर देने के बाद अब स्थित पाइप लाइन को वाशिंग हब के रूप में ही काम लिया जाता है। इस पानी को अब रेलवे ट्रेक की धुलाई एवं सफाई के काम लिया जाता है। बताया जा रहा है कि हाइडेंट के लिए रेलवे कॉलोनी में पानी की टंकी का भी निर्माण किया गया था। जहां से पाइप लाइन के जरिए स्टेशन पर पानी पहुंचाया जाता है, लेकिन पानी का प्रेशर नहीं होने से ट्रेनों में पानी भराव मुश्किल होता है।
गुजरती हैं 60 से अधिक ट्रेन
रेलवे स्टेशन से बांदीकुई स्टेशन से अलवर-जयपुर एवं जयपुर-भरतपुर रेल मार्ग पर अप-डाउन करीब 70 से अधिक ट्रेन गुजरती हैं। जबकि प्रतिदिन औसतन करीब 10 से 12 मालगाडिय़ों का भी संचालन होता है। जबकि रेलवे स्टेशन का यात्री भार भी प्रतिदिन करीब 8 से 10 हजार के बीच है और राजस्व आय भी करीब 5 लाख रुपए से अधिक है, लेकिन यहां हाइडेंट सिस्टम नहीं होने से खासी परेशानी होती है। यदि रेल प्रशासन जलस्रोत का निर्माण कर इस सुविधा को चालू कर दे तो काफी हद तक राहत मिल
सकती है।
अनदेखी से पिछड़ती रेल नगरी
ब्रिटीशकालीन समय में विकसित किया गया रेलवे जंक्शन की पहचान रेल नगरी के रूप में है। यहां मण्डल रेल प्रबंधक, लोको शैड़, मेंटीनेंस कार्यालय, डीजल शैड़, पार्सल कार्यालय सहित अन्य बडे कारखाने भी स्थापित थे, लेकिन रेल प्रशासन की अनदेखी के चलते अधिकांश कार्यालय अन्यत्र शिफ्ट कर दिए गए। रेलवे कॉलोनी स्थित आवासों को कण्डम घोषित कर तोड़ दिया गया। ऐसे में अब रेल नगरी विकास में पिछड़ती जा रही है।

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