जबकि लोग जलदाय विभाग को कोसते दिखाई देते हैं। लोगों का कहना है कि जलदाय विभाग की ओर से महीने में मात्र तीन दिन ही पानी सप्लाई किया जाता है। इस पानी का भी कोई समय तय नहीं है। नलों में पानी आने के इंतजार में रातभर गुजारते हैं और इसके बाद पानी आता है तो गंदा। उन्होंने बताया कि शहर में अधिकांश पाइप लाइन नाली एवं नालों के नीचे होकर गुजर रही हैं। ऐसे में पाइप लाइन के लीकेज होने पर पानी नालियों में बह जाता है। सप्लाई बंद होने के बाद यह गंदा पानी वापस पाइप लाइन में आकर नलों में पहुंच जाता है। इससे लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। मजबूरन लोगों को टैंकर मंगवाकर घरेलू काम निपटाने पड़ रहे हैं। इससे मध्यमवर्गीय परिवारों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है।
फ्लोरोसिस की जकड़ में मरीज
पानी में एक पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड होने एवं फ्लोराइड युक्त खाद्य पदार्थ खाने से दांत, हड्डी एवं अन्य अंगों में विकार बढऩे से फ्लोरोसिस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। चिकित्सा विभगा से मिले आंकड़ों के मुताबिक देश के 21 राज्यों के 270 जिलों में 6.60 करोड़ लोग फ्लोरोसिस से प्रभावित हैं एवं 60 लाख लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। राज्य के 33 जिले भी फ्लोरोसिस से प्रभवित हैं। इसमें दौसा जिला भी प्रमुख रूप से शामलि हैं। फ्लोरोसिस के चलते दंत, अस्थि एवं गैर अस्थि सहित तीन तरह से फ्लोरोसिस बीमारी हो रही है। खारा पानी की सप्लाई होने से चाय एवं दूध तक फट रहे हैं।
ये हैं बचाव के उपाय
ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. आरपी मीणा ने बताया कि फ्लोरासिस से बचाव के लिए फ्लोराइड रहित बारिश का पानी एकत्र कर उसे उपयोग में लिया जाए तो काफी हद तक इस बीमारी से निजात मिल सकती है। इसके अलावा फ्लोराइड युक्त काली चाय, तंबाकू, सुपारी, काला नमक का सेवन नहीं करे और फ्लोराइड युक्त टूथ पेस्ट का भी उपयोग नहीं करने से काफी हद तक बचाव संभव है। खाने में हरी सब्जी, इमली, नींबू, आंवला, संतरा, टमाटर, पपीता, केला, अमरूद, बैंगन, गाजर, मूली एवं दूध का उपयोग करें। इसके अलावा कैल्शियम, विटामिन सी, विटामीन डी की गोलियां सेवन करने से राहत मिलेगी।