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साइबर अपराधियों का बैंक ग्राहकों पर बढ़ता वार

locationदौसाPublished: May 22, 2019 02:46:59 pm

Submitted by:

Rajendra Jain

पुलिस गिरफ्त से दूर होने से बढ़ता हौसला
 

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साइबर अपराधियों का बैंक ग्राहकों पर बढ़ता वार

बांदीकुई. यदि आपके पास मोबाइल पर फोन आता है और वह स्वयं को बैंक कार्मिक बताते हुए खाते से जुड़ी जानकारी मांगता है तो उसे जानकारी मुहैया नहीं कराएं। क्योंकि इन दिनों ठग फर्जी बैंक कार्मिक बनकर मोबाइल पर खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी हासिल कर पलभर में खातों से रुपए पार करने की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। ऐसी ठगी की घटनाओं से अब तक क्षेत्र में कई लोग शिकार हो चुके हैं।
जानकारी के अनुसार वैश्विकता के दौर में बढ़ती टेक्नॉलाजी के साथ साइबर अपराध ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। साइबर अपराधी कम्प्यूटर, इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके घटना को अंजाम देते हैं। साइबर अपराधी सोशल नेटवर्किंग साइटस, ई-मेल, चेट रूम, नकली सॉफ्टवेयर एवं वेबसाइट सहित अन्य प्लेटफार्म का उपयोग कर ठगी की वारदात करते हैं। ये साइबर अपराधी कहीं से भी बैठे-बैठे ठगी की वारदातों को आसानी से अंजाम देने में सफल हो रहे हैं। पुलिस गिरफ्त से भी कोसों दूर हैं। यहीं वजह है कि खातों से रुपए पार होने एवं ऑनलाइन ठगी की वारदातों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। पुलिस के लिए भी साइबर क्राइम गले की फांस बना हुआ है। इसके अलावा एटीएम पर भी कुछ ठग नजर बनाए रहते हैं। जहां ग्राहक के एटीएम लगाकर पासवर्ड डालने के बाद एटीएम को साइबर अपराधी हैंग कर देते हैं और ग्राहक समझता है कि एटीएम खराब है या फिर रुपए नहीं है और वह घर के लिए चला जाता है। पीछे से साइबर अपराधी रुपए निकालकर मौके से खिसक जाते हैं। वहीं ग्राहकों को बातों में लगाकर ये अपराधी एटीएम कार्ड तक बदल देते हैं। जिसका ग्राहक को पता तक नहीं लग पाता है। ग्राहक को तो घटना का पता जब चलता है, जब उसके खाते से रुपए पार हो जाते हैं।

आखिर कौन है जिम्मेदार
क्षय रोग चिकित्सालय दौसा में कार्यरत स्टाफ नर्स मीना कुमारी ने बताया कि उसके पास बैंक से कोई फोन नहीं आया और उसका एटीएम भी उसके पास है। पासवर्ड भी किसी को नहीं बताया, लेकिन इसके बाद भी गत 15 अप्रेल को खाते से साढ़े 52 हजार रुपए पार हो गए। मामले में बैंक भी संतोषप्रद जवाब नहीं दे रहा है। पुलिस की ओर से भी मामला दर्ज नहीं किया गया। आखिर बैंक के पल्ला झाडऩे के बाद ग्राहक पीड़ा किसे बताएं। आखिर ऐसी घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है। सर्राफा व्यापारी लोकेश सोनी ने बताया कि गत 25 अप्र्रेल को उसके खाते से साढ़े 33 हजार रुपए पार हो गए। जबकि उसने मात्र एक बार एटीएम का उपयोग कर आलमारी में रख दिया। ऐसे में खाते से रुपए कैसे पार हुए। यह बात समझ से परे है। बैंक वाले भी इस प्रकार के साबइर क्राइम से अनभिज्ञता जता रहे हैं। ऐसे सैंकड़ों ग्राहक हैं जो कि खाते से रुपए पार होने की घटना से पीडि़त हैं, लेकिन पुलिस अभी तक साइबर अपराध से जुड़ा कोई खुलासा करने में सफल नहीं हो पाई है। इसके अलावा देवेश जैमन के 31 जनवरी 2019 को 1 लाख, मोहनलाल बैंसला मोराड़ी के 25 जनवरी 2018 को 24 हजार, रतनलाल गुर्जर बुर्जा सिकंदरा के 7 फरवरी 2018 को 33 हजार, शिवचरण कोली के 14 मार्च 2018 को 40 हजार एवं पूरणमल बैरवा के खाते से 9 नवम्बर को 14 हजार रुपए पार होने का थाने में मामला दर्ज हुआ है। जबकि दर्जनों मामले ऐसे हैं जिस में मामला तक दर्ज नहीं हुआ है। पुलिस भी साइबर अपराध से जुड़े मामले से बचने का प्रयास करती है।
पहले झांसे में लेते हैं ठग
आरोपित स्वयं को अधिकृत बैंक या अन्य किसी संस्था का सदस्य प्रतिनिधि बताकर खाताधारक को बातों में लगाकर अपने झांसे में ले लेते हैं। पासवर्ड व खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी मिलने के कुछ ही देर में ठगी की वारदात को अंजाम दे देते हैं। घटना का पता ग्राहक को मोबाइल पर खातें से रुपये पार होने का मैसेज आने पर लगता है। इन ठगों के जाल में ग्रामीणों से लेकर पढ़े लिखे शहरी लोग तक फंस रहे हैं।
बदल लेते हैं जगह
पुलिस जब कॉल डिटेल निकालकर जांच शुरू करती है। तो उसमें आरोपितों के नाम व पते भी फर्जी निकलते हैं। इसके बाद जब टॉवर की बीटीएस या लोकेशन से जुड़ी जानकारी निकाली जाती है। तो आरोपित इन ठगी की वारदातों को ऐसी जगह बैठकर करते हैं। जहां हर दिन लाखों की संख्या में कॉल आती व जाती हैं। पुलिस इन लाखों कॉल्स को चैक करती है। तब तक ये आरोपित ठिकाने बदल लेते हैं। ऐसे में इस तरह की ठगी करने वाले आरोपियों को पकडऩा पुलिस के लिए मुश्किल होता जा रहा है।

खाते से जुड़ी नहीं दे किसी को जानकारी
थाना प्रभारी राजेन्द्र कुमार मीणा ने बताया कि ग्राहक बैंक या कार्ड के ब्यौरे से लेकर कार्ड पिन नम्बर, सीवीवी वैद्यता समाप्ति, बैंक खाता पासवर्ड से जुड़ी जानकारी किसी व्यक्ति को नहीं बताए। बैंक खाते के पासवर्ड को समय पर अपडेट करते रहना चाहिए। इससे यदि किसी को पता भी लग जाए। तो समय रहते घटना घटित होने से बचा जा सकता है। बैंक का लॉग ऑन खुद टाइप करें। ई-मेल, मैसेज व व्हाटसप पर आने वाली वेबसाइट से लिंक को क्लिक नहीं करना चाहिए। इससे साइबर ठगी से बचा जा सकता है।
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