महिलाएं सिर पर मंगल कलश रखकर एवं पुरुष श्रद्धालु हाथों में ध्वज लेकर जयघोष लगाते हुए चल रहे थे। भक्ति संगीत की धुनों से समूचा वातावरण भक्तिमय हो गया। कलश यात्रा बोहरया की ढाणी पहुंच धर्मसभा में विसर्जित हो गई। इस मौके पर साध्वी प्रिया किशोरी ने कहा कि धर्म करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मनुष्य को भागवत कथा के श्रवण से सत्य का ज्ञान होता है। उन्होंने भागवत कथा के महात्म्य के बारे में बताया। इस मौके पर लल्लूराम अध्यापक, कैलाशचंद मीणा, सूखाराम, हरदान, ओमप्रकाश व बदरीप्रसाद मीणा भी मौजूद थे।
Kalash Yatra… आभानेरी. ग्राम पंचायत ऊनबड़ा गांव के म्हाणाओं के बास में भागवत कथा के पहले दिन कलश यात्रा निकाली गई। नीलकण्ठ महादेव मंदिर में ध्वज व कलश पूजन किया गया। कलश यात्रा में श्रद्धालु हाथों में ध्वज लेकर एवं महिलाएं मंगल गीत गाते हुए चल रही थी। भक्ति संगीत की धुनों पर श्रद्धालु नाचते चलने से समूचा वातावरण भक्तिमय हो गया। कईजगहों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। इस मौके पर म्हाणाओं का बास, सुनगाड़ी, रामदेवा की ढाणी, मैदा का गोला एवं शिव मंदिर होते हुए कथा स्थल पहुंच धर्मसभा में विसर्जित हुई। जहां कथावाचक प्रेमदास ने भागवत कथा के महात्म्य के बारे में बताया। विजयसिंह, मक्खनलाल, कैलाश, रामदयाल एवं राजेश भी मौजूद थे।
Srimad Bhagwat Week Knowledge… लालसोट. जगनेर गांव के रायमलबाबा मंदिर पर जारी संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजन में भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मणी विवाह की कथा के दौरान श्रद्धालु जमकर झूमे। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मणी विवाह की सजीव झांकी भी सजाई गई। विवाह की कथा के दौरान महिला पुरुष भजनों पर जमकर नाचे।
आचार्य दिवाकर शास्त्री ने कंश वध की कथा के प्रसंग पर कहा कि भगवान कृष्ण ने मानव रूप में जन्म लेकर यदुवंशियों को कंश के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। इस दौरान सुवालाल, शंभूदयाल, रामेश्वरप्रसाद, राधेश्याम, कल्याणसिंह, स्वरुपसिंह, लल्लूप्रसाद, सत्यनारायण एवं ओमप्रकाश शर्मा समेत कई जने मौजूद थे। कथा का समापन 25 जून को होगा। (नि.प्र.)
Srimad Bhagwat Week Knowledge… महवा . उपखण्ड क्षेत्र के कीर्ति नंगला गांव में चल रही भागवत कथा के दौरान कथावाचक मुकेश शास्त्री ने कथा में राजा परीक्षित कपिल देव सहित ध्रुव की कथा विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि भागवत कथा सुनने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह जन्म जन्मांतर के बंधनों से मुक्त होकर ईश्वर रूपी प्रकाश में विलय हो जाता है। इस दौरान बीच – बीच में भजनों की सरिता बही जिसमे महिला व पुरुष मंत्र मुग्ध होकर नृत्य करने लगे। इस मौके राजेन्द्र सिंह, देवेन्द्र सिंह, नरेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह, भवर सिंह, गजेन्द्र सिंह, भूपेन्द्र सिंह, गोविन्दा, मोर मुकुटसिंह व गौरव सिह आदि मौजूद थे।