उल्लेखनीय है कि प्रदेश के चिकित्सा विभाग के अंतर्गत शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालयों के डॉक्टर लंबे समय से सातवां वेतनमान दिए जाने की मांग कर रहे हैं। डॉक्टरों को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार सहित बर्तमान सरकार द्वारा भी सातवां वेतनमान दिए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। अपनी मांगें मनवाने के लिए डॉक्टरों ने चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा बनाई है। इसी क्रम में आंदोलन के पहले चरण में बुधवार को प्रदेश के सभी १३ चिकित्सा महाविद्यालयों सहित दतिया मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहे।
65 डॉक्टर रहे अवकाश पर
विदित हो कि मेडिकल कॉलेज में पदस्थ 79 डॉक्टरों ने बुधवार को सामूहिक अवकाश का आवेदन दिया था। लेकिन 79 डॉक्टरों में से 14 डॉक्टर इमरजेंसी सेवा में रहे और 65 डॉक्टर सामूहिक हड़ताल में शामिल रहे। इसके अलावा जिला चिकित्सालय में पदस्थ ३५ डॉक्टरों ने ओपीडी में आने वाले मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें परामर्श दिया।
विदित हो कि मेडिकल कॉलेज में पदस्थ 79 डॉक्टरों ने बुधवार को सामूहिक अवकाश का आवेदन दिया था। लेकिन 79 डॉक्टरों में से 14 डॉक्टर इमरजेंसी सेवा में रहे और 65 डॉक्टर सामूहिक हड़ताल में शामिल रहे। इसके अलावा जिला चिकित्सालय में पदस्थ ३५ डॉक्टरों ने ओपीडी में आने वाले मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें परामर्श दिया।
अस्पताल में दिया धरना
चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय के डॉक्टरों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए इसके लिए बुधवार को डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर रहने के साथ धरना भी दिया। डॉक्टरों ने जिला चिकित्सालय परिसर में धरना प्रदर्शन किया।
चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय के डॉक्टरों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए इसके लिए बुधवार को डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर रहने के साथ धरना भी दिया। डॉक्टरों ने जिला चिकित्सालय परिसर में धरना प्रदर्शन किया।
एक दर्जन ऑपरेशन टले
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों पर अवकाश पर रहने की बजह से करीब एक दर्जन मरीजों के विभिन्न तरह के ऑपरेशन नहीं हो सके। जिन मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके उनमें से कुछ मरीज पहले से ही जिला अस्पताल में भर्ती हैं।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों पर अवकाश पर रहने की बजह से करीब एक दर्जन मरीजों के विभिन्न तरह के ऑपरेशन नहीं हो सके। जिन मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके उनमें से कुछ मरीज पहले से ही जिला अस्पताल में भर्ती हैं।
स्किन के मरीज लौटे
डॉक्टरों की हड़ताल की बजह से बैसे तो कोईविशेष असर नहीं दिखाई दिया लेकिन त्वचा रोग संबंधी मरीजों को बैरंग लौटना पड़ा। मेडिकल कॉलेज की तरफ से जिला चिकित्सालय में स्किन के एकमात्र डॉक्टर प्रशांत हरित हैं। डॉ हरित के अवकाश पर रहने की बजह से स्किन के मरीजों को बिना दिखाए लौटना पड़ा।
डॉक्टरों की हड़ताल की बजह से बैसे तो कोईविशेष असर नहीं दिखाई दिया लेकिन त्वचा रोग संबंधी मरीजों को बैरंग लौटना पड़ा। मेडिकल कॉलेज की तरफ से जिला चिकित्सालय में स्किन के एकमात्र डॉक्टर प्रशांत हरित हैं। डॉ हरित के अवकाश पर रहने की बजह से स्किन के मरीजों को बिना दिखाए लौटना पड़ा।