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रामा सिंह की इंट्री से हैं नाराज
लोक जन शक्ति पार्टी के उम्मीदवार के बतौर 2014 में वैशाली से आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह को पराजित करने वाले रामाकिशोर सिंह उर्फ रामा सिंह की आरजेडी में आने की आहट से ऐसी परिस्थिति पैदा हुई है। रघुवंश सिंह ने इसी कारण से पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।कोरोना पीड़ित होने के कारण वह पटना एम्स में इलाजरत हैं। सिंह का कहना है कि किसी भी कीमत पर अपना इस्तीफा वापस नहीं ले सकता। पिछले दिनों तेजस्वी यादव मिलने आए और हालचाल लिया तो अच्छा लगा। लेकिन मैं अपने फैसले पर अडिग हूं। रघुवंश सिंह लालू के अनन्य सहयोगी और आरजेडी के स्थापत्य काल के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते हैं। लोकसभा चुनाव में वैशाली से लोजपा की वीणा देवी के आगे पराजय के बाद इन्हें उम्मीद थी कि पार्टी की कमान सौंपी जाएगी। लेकिन लालू यादव ने इनके प्रबल प्रतिद्वंद्वी जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनवा दिया। फिर राज्यसभा में भेजने की उम्मीद लगाई मगर लालू यादव ने अमरेंद्र धारी सिंह और प्रेमचंद गुप्ता को आगे कर दिया। अब इनके लिए पार्टी में रहते हुए बेहद घुटन के माहौल में आगे का सफर बेशक कठिन सा हो गया लगता है। इसलिए भी कि लालू यादव दिन प्रतिदिन की देखरेख से अलग हैं और अपने जूनियर जगदानंद सिंह की अध्यक्षता में दबे रहना इन्हें बर्दाश्त नहीं होगा।
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रामा सिंह ने पूछा कि योगदान क्या है
बाहुबली रामा सिंह की आरजेडी में इंट्री तय हो जाने से ही रघुवंश सिंह बेहद नाराज़ चलने लगे। उपाध्यक्ष से इस्तीफा तक दे डाला। मगर बात फिर भी बन नहीं सकी। रामा सिंह की आरजेडी में इंट्री पक्की हो गई बताई जा रही है। स्वयं रामा सिंह इस बात की पुष्टि करते नहीं अघा रहे। सार्वजनिक रूप से उन्होंने सवाल किए कि रघुवंश बाबू का पार्टी में योगदान आखिर है क्या? जब रामविलास पासवान गठबंधन में थे तो उनका विरोध करते रहे। फिर जब नीतीश कुमार महागठबंधन में तब भी विरोध किया। अब वही नीतीश कुमार अच्छे लगने लगे हैं।
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जदयू ने किया रघुवंश सिंह का स्वागत
जदयू नेता और राज्य सरकार के मंत्री जयकुमार सिंह ने रघुवंश सिंह के शीघ्र सर्वसमर्थ होने की कामना करते हुए कहा कि यदि वह जदयू में आना चाहें तो पार्टी के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हुए हैं। जयकुमार सिंह ने कहा कि जदयू के नेता कार्यकर्ता रघुवंश बाबू के पार्टी में आने का जोर शोर से स्वागत करते हैं।