इन परिस्थितियों में जब चुनाव होंगे तो हालात से निबटते हुए किस तरह सफल हो पाएंगे। राज्य में नीतीश कुमार की एनडीए सरकार में भाजपा दूसरे नंबर की सहयोगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का असर गत वर्ष बिहार में देखा जाचुका है। भाजपा अकेले सत्यता का विकल्प बन सकती है। लेकिन पार्टी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इससे भाजपा का एक बड़ा वर्ग आहत है। इस तबके का तर्क है कि नीतीश कुमार भाजपा के वोट पर फिर राज करेंगे। यह आशंका भी जताई जा रही कि नीतीश चुनाव बाद कहीं फिर से न करवट बदल लें। इन्हीं सवालों का जवाब स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत में तलाशने की पहल की गई।
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सवाल- कोरोना से लड़ने में बिहार फिसड्डी साबित हो रहा है, जबकि बिहार में डबल इंजन की सरकार है?
जवाब – बिहार कोरोना से लड़ाई में आगे और पूरी तरह सफल है। दूसरे राज्यों से तुलना करके देखें तो रिकवरी रेट के मामले में हम देश भर में दूसरे नंबर पर हैं। दिल्ली में रिकवरी रेट 89.8 प्रतिशत है जबकि बिहार में 86 प्रतिशत है। जांच के मामले में भी हम पांचवें स्थान पर हैं। देश के बड़े राज्यों के मुकाबले कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्यु दर 0.50 फीसदी बिहार में है। पिछले 12 दिनों के भी ऐक्टिव केस 15 हजार कम हुए हैं। अब ऐक्टिव केस मात्र 17,181 रह गए हैं। हर पैमाने पर बिहार कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने और इलाज उपचार में बेहतर है।
सवाल – लेकिन बिहार में कोरोना की जांच तो शुरुआत में बेहद कम हुई?
जवाब – बिहार में हम ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट मोड़ में चल रहे हैं। दुसरे राज्यों की तुलना में बेहतर उपाय किए गए हैं। बिहार तीसरी बड़ी आबादी वाला राज्य है। 12 करोड़ आबादी वाले राज्य में 1,28,850 पॉजिटीव केस पाए गए।
सवाल – बाहर से बिहार आने वाले लगभग तीस लाख से ज्यादा लोगों की जांच देरी से क्यों हुई?
जवाब – बाहर से लौटने वालों के लिए यह बेहतर इंतजाम किए गए। सभी की जांच की गई। सभी की स्क्रीनिंग की गई। क्वारंटाइन सेंटर्स चलाए गए।फिर सभी की विधिवत जांच की गई और इलाज के साथ खान-पान के इंतजाम किए गए।
सवाल – आप पूरे राज्य में बेहतर इलाज के दावे कर रहे हैं। जबकि लोग पटना एम्स ही आना पसंद करते हैं, राज्य के अन्य अस्पताल में नहीं, क्यों?
जवाब – विभिन्न श्रेणियों के अस्पतालों में इलाज की विविधता है। एमरसन राष्ट्रीय संयंत्र का अस्पताल है। विशिष्ट चिकित्सा के प्रबंध वहां हैं। लेकिन दूसरे अस्पतालों में भी बेहतर इंतजाम हैं। कोविंड केयर सेंटर चलाए जा रहे हैं। तीन श्रेणी के डेडिकेटिड कोविड अस्पताल चलाए जा रहे हैं। भारत सरकार ने अलग से कोविड केयर विशेष अस्पताल शुरु करवाए हैं।
सवाल – दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घर—घर ऑक्सीमीटर दे दिए। क्या बिहार में ऐसा नहीं हो सकता?
जवाब- हम लुभावने और सस्ती लोकप्रियता के काम नहीं करते। बिहार की बारह करोड़ आबादी में यह कर पाना मुमकिन नहीं है।
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सवाल – बाहर से आए श्रमिकों को यहीं काम देने के वादे किए गए। लेकिन अब बड़ी संख्या में रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है। आखिर इतनी संख्या में लोग क्यों वापस लौट रहे हैं ?सरकार काम देने का इंतजाम क्यों नहीं कर पा रही?
जवाब- यह सब अचानक से नहीं हो जाएगा। सरकार ने सभी का सर्किल मैपिंग किया है। स्किल्ड लेबर का डाटा तैयार किया गया है। सारे निर्माण कार्ययोजना की पहचान कर स्किल्ड लेबर को काम देने की पहल की जा रही है। मनरेगा में कार्य दिवस बढ़ाए गए हैं। अब देश में काम करने वालों के लिए कोई सीमा नहीं है। मानवीय स्वभाव है कि लोग अपनी पसंद से कार्यस्थल का चुनाव करते है।
सवाल – बिहार में एनडीए का नेता फिर नीतीश कुमार को बना दिया गया।क्या भाजपा के पास मुख्यमंत्री का अपना कोई चेहरा नहीं है?
जवाब – बिहार में एनडीए की सरकार है और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के नाते बिहार के विकास का बढ़िया काम कर रहे हैं। बिहार की तस्वीर और तक़दीर बदलने का लक्ष्य साध रहे हैं। नीतीश कुमार बिहार को विकसित राज्य बनाने में जी जान से जुटे हैं। इसलिए हम नीतीश कुमार के साथ हैं और भाजपा नीतीश को आगे बढ़ा रही है।हम विकास के साथ चलने के लिए संकल्पित हैं।
सवाल – नीतीश कुमार फिर चुनाव बाद अगर पलट गए तो?
जवाब – बिहार में एनडीए एकजुट है। दोनों मिलकर देश और प्रदेश का विकास कर रहे हैं। नीतीश कुमार एनडीए का सफल नेतृत्व कर रहे हैं।
सवाल – नीतीश कुमार फिर भाजपा को धोखा नहीं देंगे, इसकी क्या गारंटी है?
जवाब – कुल मिलाकर हमारा गठबंधन है। कोई साथ छोड़ भी दें तो नीतीश कुमार हमारे अगुआ के रूप में हैं। उनके नेतृत्व में चुनाव होगा और फिर एनडीए की ही सरकार बनेगी।
सवाल – चिराग पासवान नीतीश सरकार पर आक्रामक बने रहे और जदयू ने भी लोजपा के बदले जीतनराम मांझी को प्रश्रय देना शुरु कर दिया। लोजपा से पिंड छुड़ाना तो नहीं चाहते?
जवाब – लोजपा एनडीए का मजबूत हिस्सा है। एनडीए के तीनों घटक दल एक साथ हैं। कोई कहीं जाने वाला नहीं है।
सवाल – व्यापक और नरेंद्र मोदी के प्रभाव से विस्तृत जनाधार के वावजूद भाजपा जदयू से कम सीटों पर तालमेल के लिए क्यों सहमत हैं?
जवाब- एनडीए में अभी सीटों पर तालमेल हुआ नहीं है। सभी घटक दलों का ध्यान रखते हुए सीटों का बंटवारा सबकी सहमति से संभव होगा