भाजपा द्वारा टिकट को लेकर मंडलाध्यक्षों के द्वारा सर्वे कराया गया था। इस सर्वे में वार्ड के कार्यकर्ताओं और लोगों से बात की गई और परिस्थितियों को भांपा गया, जिसके आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार हुई, जो सात सदस्यीय चुनाव संचालन समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। यह समिति आगामी दिनों में अपने प्रत्याशियों के नाम की अधिकारिक घोषणा कर देगी। लेकिन इससे पहले पार्टी के प्रमुख नेताओं के इशारे ने उन लोगों को सक्रिय कर दिया है, जो टिकट की दौड़ में शामिल हैं।
पिछले मतदान का गणित बदलना लगभग तय
२०२० के दमोह विधानसभा उपचुनाव की हार के बाद भाजपा ने अपने छह मंडलों के प्रमुखों को व पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया को पार्टी विरोधी काम करने की वजह से पार्टी से निलंबित कर दिया था। इधर नपा व पंचायत चुनाव आने से ठीक डेढ़ माह पहले ही सिद्धार्थ मलैया द्वारा विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पैदल जनसंपर्क शुरू किया और तीन चरणों में पूरा कर लिया। इधर सिद्धार्थ मलैया के समर्थक शहर के अधिकांश सभी वार्डों से निर्दलीय प्रत्याशी होंगे यह बात प्रमुखत: से सामने आ रही है और इन समर्थकों में वह भी शामिल हैं, जो पिछले दिनों तक भाजपा से पार्षद थे। इस संबंध में सिद्धार्थ मलैया ने पत्रिका को बताया कि नपा चुनाव में वह निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले उन लोगों का सहयोग करेंगे, जो उनसे शहर के विकास के एजेंडा को लेकर उनसे मदद मांगेगे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सिद्धार्थ के कथन से यह स्पष्ट है कि इस बार निर्दलीय प्रत्याशी का बोलबाला रहेगा।
नई गाइडलाइन ने भी फेर दिया पानी
भाजपा संगठन द्वारा के हाईकमान से चुनाव संबंधी जारी नई गाइडलाइन ने उन सिटिंग पार्षदों के मंसूबों पर भी पानी फेर दिया है, जो एक से अधिक बार पार्टी से टिकट लेकर चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा टिकट की दौड़ से उन्हें भी बाहर कर दिया गया है, जो संगठन में पदाधिकारी हैं। ऐसे पदाधिकारियों के परिवार सदस्यों को भी टिकट नहीं मिलनी है। साथ ही साथ ३० मई २०२२ को दोबारा वार्डों के हुए आरक्षण रोस्टर ने भी परिस्थितियों को बदल दिया है। क्योंकि पिछले कार्यकाल में जो भाजपा से नपा परिषद के पदाधिकारी थे, उनके वार्डों में हुए आरक्षण ने भी पदाधिकारियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है, इसमें पिछले परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, लगभग सभी सभापति शामिल हैं।