नरसिंहगढ़ चौकी क्षेत्र पहुंचा बाघ
वन विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार जो बाघ पांच दिन पहले बालाकोट गांव में था वह यहां से भूरी गांव पहुंच गया था। यहां वह दो दिन रहा और फिर उसने जिला मुख्यालय से सटे इलाके हथनी बीट के लाडऩबाघ की ओर पथरिया थाना क्षेत्र का रास्ता पकड़ लिया था। शनिवार की दोपहर में बाघ की मौजूदगी पथरिया थाना क्षेत्र के जेरठ गांव में थी। वहीं रविवार की सुबह बाघ यहां से करीब १५ किलोमीटर दूर नरसिंहगढ़ चौकी क्षेत्र में बड़ागांव होते हुए हटा तहसील के बनगांव क्षेत्र में पहुंचने की बात सामने आई है।
यह रही बाघ की मूवेंट
नरसिंहगढ़. लगभग पिछले 30 घंटे में बाघ ने 30-40 गांव के लोगों को दहशत में डाल दिया है। शनिवार की दोपहर 2 बजे के लगभग बाघ धौराज गांव में दिखा था। यहां से बाघ सुनार नदी पार कर नरसिंहगढ़ होते हुए कल्याणपुरा गांव, खेजरा कला गांव सुबह करीब ६ बजे पहुंच गया था। इसके बाद बड़ागांव के बाहर पीपल के पेड़ के छांव में लगभग 3 घंटे तक बाघ बैठा रहा और आराम भी किया। सुबह ७ बजे बड़ागांव निवासी द्वारका तिवारी द्वारा बाघ की गांव में मौैजूदगी होने की जानकारी से प्रशासनिक अमले व मीडिया को दी गई। एसडीएम पथरिया संजीव साहू ने तत्काल पुलिस व वन विभाग के अधिकारियों को मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए। लोगों की मौजूदगी बाघ ने बढ़ती हुई देखी वह कोपरा नदी के किनारे झाडिय़ों से बनगांव की ओर बढ़ गया।
बाघ और इंसान दोनों को खतरा
गांव के नजदीक खेतों में बाघ की मौजूदगी उसके लिए खतरा बनी हुई है। इसके अलावा जिले में शिकारियों की भी भरमार है, आए दिन जिले के जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार होने के मामले सामने आते रहते हैं। जानकारों के अनुसार बाघ के जिले में होने और आईडी कॉलर नहीं पहने होने की बात से अब तक शिकारी भी वाकिफ हो चुके होंगे। बाघ की लगातार बदलती स्थिति व उसका रहवासी इलाकों की ओर बढऩा बाघ व इंसान दोनों के लिए खतरा बना हुआ है। बताया जाता है कि जिन स्थानों पर बाघ के मौजूद रहने की बात सामने आई है वहां लोग अपने खेतों में जाने से भी डर रहे हैं।
जान जोखिम में डाल रहे लोग
बाघ के होने की खबर लगते ही ग्रामीण लोग सक्रिय हो जाते हैं। सुरक्षा के हिसाब से तो ग्रामीणों का सक्रिय होना सही माना जा सकता है, लेकिन खेतों से निकल रहे बाघ के नजदीक जाकर उसका वीडियो अथवा फोटो खींचना जान जोखिम में डालना ही माना जाएगा। देखा जा रहा है कि लोग बाघ का वीडियो बनाने के चक्कर में खतरा मोल ले रहे हैं।
हाथ पर हाथ रखे बैठा वन अमला
पन्ना टाइगर रिजर्व से भागकर दमोह पहुंचने वाला यह पहला बाघ नहीं है, बल्कि दो माह पहले एक और बाघ रिजर्व से नौरादेही अभयारण्य पहुंच चुका है जिसकी मौजूदगी अभी नौरादेही क्षेत्र की सर्रा रेंज में होना बताई गई है। लेकिन जब भी बाघ के जिले में होने की बात सामने आती है तो जिले का वन अमला अपनी निष्क्रियता जाहिर कर देता है। एसडीओ फॉरेस्ट जीएस धु्रवे भी यह बात साफतौर पर कह चुके हैं कि बाघ कहीं पर होने की सूचना मिलने के बाद सिर्फ उस पर नजर रखी जा सकती है, इसके अलावा बाघ पर काबू पाने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। फिलहाल दमोह रैंजर प्रेमलाल अहिरवार ने बताया है कि ग्रामीणों से ही सूचना प्राप्त हुई है कि बाघ नरसिंहगढ़ क्षेत्र में देखा गया है। यहां सवाल यह है कि जब बाघ पर नजर रखने के लिए टीमें बनाईं गईं हैं तो बाघ कहां है इस बात की जानकारी विभागीय अधिकारियों को क्यों नहीं होती है।