मामले में पुलिस ने बताया है कि मृतिका आरती तिवारी तथा ननद अनीता तिवारी की आपस में नहीं बन रही थी। दरअसल पिछले कई सालों से अनीता परिवार के साथ ही लगभग ५ साल से रहती थी। पहले वह कटनी जिले के बिजरावगढ़ में शिक्षिका के पद पर पदस्थ थी।
जिसका विवाह कैमोर में हुई थी। लेकिन उसकी पति से नहीं बनती थी। जिसके बाद वह ट्रांस्फर कराने के बाद नरसिंहगढ़ आ गई थी। जो नरसिंहगढ़ के छात्रावास में पदस्थ रही। उसके बाद वह नरसिंहगढ़ के ही कन्या मिडल स्कूल में वर्ग दो में पदस्थ थी। आरोपी की अगर मानें तो उसके अनुसार मृतका पूरे परिवार में अपनी चलाती थी, जिससे ननद परेशान रहती थी। हालांकि दूसरे पक्ष की अगर बात मानी जाए तो मृतका की नजर परिवार की संपत्ति पर थी। जिसके चलते उसने गांव में ही रहने वाले हत्या के आरोपी रहे मोनू पाराशर से मिलकर महिला उसने हत्या की योजना बनाई थी।
मामले में पुलिस ने बताया है कि आरोपी मोनू पाराशर से मिलकर महिला ने पांच लाख रुपए में अपनी ही भाभी की हत्या कराने का सौदा तय किया था। जिसमें उसने अलग-अलग किश्तों में रुपए देने की बात कही थी। पुलिस ने यह भी बताया कि मोनू पूर्व में गिरीश सोनकिया हत्याकांड के मामले में सेंट्रल जेल में रहा था। जहां पर उसकी दूसरे हत्या के आरोपी से मुलाकात हुई थी। जिसका नाम निगम सिंह धाकड़ पिता राधेलाल धाकड़ (३०) निवासी सिंगवाड़ा तहसील सुनवानी, थाना बम्होरी जिला रायसेन बताया गया है। बात होने के बाद दोनों ने मिलकर रचना रची। जिसमें तीसरे आरोपी रवि परमार को भी शामिल किया गया। इसके बाद हत्या को अंजाम दिया गया। लेकिन घटना को अंजाम देने के बाद दूसरा आरोपी रवि परमार घटना के बाद मौके से फरार हो गया था। जो अपने साथ निगम को वहीं छोड़ गया था।
पुलिस ने बताया है कि मृतका के बाजू से ही बाइक व साइकलें सुधारने वाले एक दुकानदार के यहां मोनू लंबे समय से बैठकर रैकी कर रहा था। घटना के पूर्व भी मोनू उसी क्षेत्र में देखा गया था। लेकिन घटना के बाद से वह फरार हुआ तो आज तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया।