जिले की जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तेंदूखेड़ा तहसील। इस तहसील के चार गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीणों ने मतदान का सार्वजनिक रुप से बहिष्कार किया है और इसकी सूचना ज्ञापन के जरिए प्रशासन को भी दी है। तहसील की ग्राम पंचायत सहजपुर के लोगों ने पेयजल समस्या के कारण वोट नहीं डालने का फैसला किया है। इस गांव के ग्रामीणों ने लगभग दो माह पहले वोटिंग नहीं करने का मन बना लिया था और वह अभी भी इसी निर्णय पर कायम हैं। ग्राम के लोगों ने कहा कि अनेक बार मौखिक, लिखित आवेदन देने के बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया है और इसके चलते वह सभी मतदान नहीं करेंगे। ग्राम वासियों ने कहा कि गर्मी में उन्हें पानी के लिए चार से पांच किलोमीटर और इससे भी अधिक दूरी पानी की जुगाड़ लगाने के तय करनी पड़ती है। जलसंकट से निपटने के कोई प्रयास वर्षों बाद भी गांव में नहीं किए गए हैं।
इसी तरह ग्राम पंचायत चंदना के हर्रई ग्राम के लोगों ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि ग्राम में पीने के पानी की हमेशा समस्या रहती है। ग्रामीणों ने बताया है कि इस समस्या के निराकरण के लिए सांसद, विधायक, कलेक्टर से उन्होंने बात की थी, जिसके बाद उन्हें आश्वासन दिया गया था कि पेयजल व्यवस्था के लिए तालाब का निर्माण करा दिया जाएगा। लेकिन तालाब का निर्माण कार्य आज तक नहीं हो सका है। ग्रामीणों की माने तो इस गांव के लोग मतदान का बहिष्कार कर चुके है।
इसी तरह ग्राम पंचायत बांदीपुरा के ग्राम भोपाठा में स्कूल भवन नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई में काफी परेशानी आ रही है। इस गांव के लोगों ने स्कूल भवन निर्माण कराए जाने की मांग की थी। लेकिन समय रहते ग्रामीणों की यह मांग पूरी नहीं हो सकी। अत: उन्होंने निर्णय लिया है कि वह 28 नवंबर को होने वाले चुनाव में मतदान नहीं करेंगे।
इसी तरह ग्राम पंचायत इमलीडोल के अंतर्गत ग्राम जरुआ के लोगों ने भी मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है। इस गांव में जल स्रोत नहीं है। जलसंकट के दिनों में यहां के लोगों को नाला का पानी पीना पड़ता है। वहीं गर्मी के अलावा साल के अन्य महीनों में भी यहां पानी की विकराल समस्या बनी रहती है। इसके अलावा इस गांव के लोगों को अन्य बुनियादी सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें शासन द्वारा संचालित की जा रहीं योजनाओं में शामिल स्वास्थ्य योजनाएं, आवास योजनाओं से भी वंचित रखा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार समस्याओं के निराकरण के लिए मांग की है, लेकिन शासन प्रशासन द्वारा उनकी मांगों को नजर अंदाज किया गया है। ग्रामीणों ने बताया है कि उन्होंने करीब छह माह पहले ही एक मत होकर निर्णय ले लिया था कि सुविधाएं महुैया नहीं होने की वजह से गांव के लोग मतदान नहीं करेंगे और इसी निर्णय पर आगे भी अमल किया जाएगा।
मडिय़ादो क्षेत्र में भी यही स्थिति
जिले के वनांचल के कुछ गांव ऐसे हैं जहां लोग बुनियादी सुविधाओं से अछूते हैं। मडिय़ादो उप तहसील अंतर्गत आधा दर्जन गांवों में शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क, राशन व रोजगार की विकट समस्या बनी हुई है। क्षेत्र के लोगों ने समस्याओं के निराकरण के लिए हर एक अवसर पर मांग की लेकिन सुनवाई आज तक नहीं हो सकी। यही कारण है कि समस्याओं से जूझ रहे गांवों के लोगों ने मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है।
वोट मांगने से भी कतरा रहे नेता
जिन गांवों के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया है, यहां के लोग नेताओं का नाम सुनते ही आक्रोशित हो जाते हैं। ग्रामीण इस बात से वाकफ हैं कि अब चुनावी समय में नेता उनके घरों तक मतदान अपने पक्ष मेें करने की मांग लेकर पहुंचेगे, लेकिन ग्रामीण नेताओं को करारा जबाव देने की फिराक में बैठे हैं। इस बात को चुनावी प्रत्याशी भी जानते हैं और इसी कारण नेता ऐसे गांव में घुसने से कतरा रहे हैं।