जानकार बताते हैं कि शिवरामपुर की वीरांगना रानी दुर्गावती के शासनकाल में नया गांव बसाया गया था जहां पर सती के कई चीरे आज भी विराजमान हंै। यह गांव 1570 में स्थापित होना बताया गया है, जिसमें श्रीगढ़ गौरी, विजयदुर्ग महाराज, राजा अनहरण देव के समय का जिक्र इतिहास में मिलता है। नया गांव का नाम ठर्रक लिखा हुआ है। जहां पर रानी दुर्गावती की टकसाल हुआ करती थी। लेकिन वर्तमान स्थिति में यह वीरान मौजा है। यहां प्राचीन शिव, गणेश, व शिव मंदिर है।
नोहटा थाना प्रभारी सुधीर कुमार बेगी का कहना है कि जांच कराई जा रही है किसी ने जानबूझकर ऐसा किया है कि प्रतिमा को कहीं ले जाकर छिपा दिया हो या फि र कोई चोरी करके ले गया। यह तो जांच के बाद ही पता लग सकेगा। क्योंकि जो शिव मंदिर है वह बाढ़ ग्रस्त नदी के तट पर बना हुआ है। इसलिए वहां बारिश में जाने का रास्ता भी नहीं रहता है। फि र ऐसी स्थिति में आखिर कौन व्यक्ति प्रतिभा को चोरी करके ले गया। इसकी जांच की जा रही है जल्द ही प्रतिमा का पता लगा लिया जाएगा