scriptखेतों में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई किसानों के लिए वरदान | Advisory for Krishi in summer 2019 | Patrika News

खेतों में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई किसानों के लिए वरदान

locationदमोहPublished: May 09, 2019 01:23:31 pm

Submitted by:

Samved Jain

कलेक्टर ने जारी की एडवाइजरी

दमोह. कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने जिले के किसान भाईयों के लिए एडवाइजरी जारी की है। खेतों में ग्रीष्मकालीन गहरी जुलाई किस्मों के लिये वरदान है। मई-जून के माह में मिट्टी पलटने बाले हल जैसे मोल्ड़ बोर्ड प्लाऊ, टर्न रेस्ट प्लाऊ या रिर्वस विल मोल्ड़ बोर्ड प्लाऊ के द्रारा तीन वर्ष मे कम से कम एक बार 20 सेंटीमीटर से अधिक गहरी ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिए, क्योकि लगातार फसले उगाने से मृदा सख्त व कठोर हो जाने से जल धारण क्षमता व भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जाती है तथा फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग, कीट एवं बीमारियो व खरपतवारों की समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जाती है, जिससे फसलोत्पादन मे कमी एवं लगातार जल स्तर मे गिरावट देखी जा रही है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लियें आवश्यक है, अपने खेतों में ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई की जाए।
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने के लाभ
उन्होंने कहा है खेतों में गहरी जुताई करने से भूमि की ऊपरी कठोर परत टूट जाती है, जिससे मृदा में बर्षा जल धीरे-धीरे रिस-रिस कर जमीन के अंदर चला जाता है तथा वर्षा जल का रुकाव जमीन मेें अत्यधिक होने के कारण मृदा मेें जल भरण क्षमता व जल स्तर मेें वृद्धि होती है, मृदा की भौतिक संरचना में सुधार होता है, मृदा में हवा का आवागवन बढ़ जाता है एवं सूक्ष्म जीवों की संख्या में भी वृद्धि हो जाती है, और जैविक पदार्थो का विघटन सर्वाधिक होता है, जिससे भूमि कि उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। मृदा मे वर्षा जल के सोखने की क्षमता बढ़ जाती है जिससे वायुमण्डल की नाइट्रोजन जल में धुल कर म्रदा में चली जाती है जिससे म्रदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हो जाती है। जमीन के अंदर छिपेे हुए कीटों के अंडे, प्युपा आदि जमीन के ऊपर आ जाते है और तेज धूप के कारण मर जाते है।
वायरस भी तेज धूप के कारण मर जाते है
उन्होंने कहा खरपतवारों के बीज एवं रोग फैलाने वाली कवक, बेक्टीरिया एवं वायरस भी तेज धूप के कारण मर जाते है जिससे अगली फसल में रोग, कीट व खरपतवारों की समस्या कम होती है। ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई खेत के ढ़ाल की विपरीत दिशा में करने से मृदा एवं जल कटाव में कमी एवं वर्षा जल बहकर नुकसान हो जाने से भी बच जाता है। ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई करने से फसल उत्पादन में 10-20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है।
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रबी फसल का उपार्जन अब 31 मई तक
दमोह. रबी वर्ष 2018-19 में चना, मसूर एवं सरसों के न्यूनतम समर्थन पर उपार्जन अवघि 24 मई, 2019 से बढ़ाकर 31 मई 2019 निर्घारित की गई है। लोकसभा निर्वाचन के लिए मतदान तथा मतगणना के दिन उपार्जन बंद किए जाने का निर्णय अलग से प्रसारित किया जाएगा। प्रदेश के किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा जिला कलेक्टर को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
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