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आईएएस पांडे का सुसाइड नोट: मैं दोनोें को बहुत प्यार करता हूं, किसी को छोड़ नहीं सकता

Published: Aug 11, 2017 11:57:00 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

मेरी वाइफ और मेरे माता पिता के बीच बहुत तनातनी है। वो हमेशा दोनों एक-दूसरे से उलझते रहते हैं, जिससे मेरा जीना दुश्वार हो गया है।

नई दिल्ली: मेरा नाम मुकेश पांडे है। मैं आईएएस 2012 बैच का ऑफिसर हूं। बिहार कैडर का। मेरा घर गोवाहाटी असम में पड़ता है। मेरे पिताजी का नाम सुदेश्वर पांडे है और मेरी माताजी का नाम गीता पांडे हैं। मेरे सास-ससुर का नाम राकेश प्रसाद सिंह और पूनम सिंह है। मेरी वाइफ का नाम आयूषी शांडिल्य है। इन केस आप ये मैसेज देख रहे हैं। यह मेरे सुसाइड और मौत के बाद का मैसेज है। यह मैं पहले प्री रिकॉर्ड कर रहा हूं, बक्सर के सर्किट हाउस में। यही पर मैंने डिसीजन लिया कि मैं दिल्ली में जाकर अपने जीवन का अंत कर दूंगा। यह डिसीजन मैंने इसलिए लिया कि मैं अपने जीवन से खुश नहीं हूं। मेरी वाइफ और मेरे माता पिता के बीच बहुत तनातनी है। वो हमेशा दोनों एक-दूसरे से उलझते रहते हैं, जिससे मेरा जीना दुश्वार हो गया है। दोनों की गलती नहीं है, दोनों ही मुझसे अत्यधिक प्रेम करते हैं। मगर कभी कभी अति किसी एक आदमी को मजबूर कर देती है कि वह एक्ट्रीम स्टेप उठा ले। किसी भी चीज की अति होना अच्छी बात नहीं है। मेरी वाइफ मुझे बहुत प्यार करती है।

मैं जीवन से तंग आ चुका हूं- मुकेश पांडे
मुझे मालूम है मेरी एक छोटी बच्ची भी है। मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। मैं वैसे भी जीवन से तंग आ चुका हूं। मैं बहुत सिंपल, सीधा-साधा पीस लविंग आदमी हूं। जब से शादी हुई है बहुत ही उथल पुथल चल रही है। हमेशा हम किसी न किसी बात पर झगडते रहते हैं। दोनों की पर्सनैलिटी अलग है। हम चाक एंड चीज हैं। वह एग्रेसिव और एक्सट्रोवर्ट नेचर है जबकि मेरा इंट्रोवर्ट नेचर है। बावजूद इसके हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। मैं अपने सुसाइड के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं मानता। मैं मानता हूं कि मैं इसे सुलझा नहीं पाया। इस कारण सुसाइड कर रहा हूं। मैं खुद ही जिंदगी से फ्रस्ट्रेट हो चुका हूं।
मुझे नहीं लगता कि हम मानव बहुत ज्यादा कंट्रीब्यूट कर रहे
मुझे नहीं लगता कि हम मानव बहुत ज्यादा कंट्रीब्यूट कर रहे हैं। हम अपने आप को बहुत ज्यादा सेल्फ इम्पॉर्टेंस देते हैं कि हम यह कर रहे हैं वो कर रहे हैं। जब आप पूरे यूनिवर्स को अपने आप को इमेजिन कीजिएगा और जो यूनिवर्स की जर्नी रही है। उसमें न जाने कितने लोग आए कितने लोग चले गए। तो आपको पता चलेगा कि हमारे वजूद का कोई मतलब नहीं है। हम बस नए नए जाल रोज बुनते रहते हैं और अपने आप को उलझाते रहते हैं और अपना मन बहलाते रहते हैं।
मेरे अंदर जीने की फीलिंग ही नहीं बची- मुकेश पांडे
पहले मैं सोच रहा था कि अध्यात्म की तरफ ओर जाऊं। कहीं जाकर तप करूंगा कुछ समाज सेवा करूंगा। मगर मुझे लगा कि वह भी व्यर्थ चीज है। इससे अच्छा है कि मैं मर जाऊं। मेरा जीवन से जी भर गया है। मेरी जीने की इच्छा नहीं रह गई। इसी कारण मैं एक्स्ट्रीम स्टेप ले रहा हूं। मुझे पता है कि कावर्डली स्टेप है, मुझे भी पता है। स्कैपीस्ट स्टेप है। मगर मुझे लगता है कि इससे मेरे अंदर जो फीलिंग ही नहीं बची है जीने की तो फिर एक्जीसटेंस का मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए मैं यह स्टेप ले रहा हूं।
वीडियो मिले तो मम्मी पापा को खबर दे देना

अगर आपको यह वीडियो मिलता है, तो कृपया मेरे इसमें मम्मी पापा, मदरइन ला, मेरी वाइफ के नंबर दर्ज हैं। किसी को भी इस नंबर पर कॉल करके बता दीजिए कि उनका बेटा मुकेश पांडे अब इस दुनिया में नहीं रहा है और उसने दिल्ली में सुसाइड कर लिया है। मैंने यही प्लान बनाया है कि मैं झूठ बोलकर दिल्ली जाऊंगा और वहां सुसाइड कर लूंगा। मेरे वाइफ-माता पिता को कृपया करके यह सूचना दे दें।

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