7 जुलाई 2013 को बोधगया के महाबोधि मंदिर और आसपास के इलाके में सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में दो बौद्ध भिक्षुओं समेत पांच लोग घायल हुए थे। यहां कुल 9 धमाके हुए थे। पहला धमाका सुबह साढ़े पांच बजे हुआ था। 4 नवंबर 2013 को इन धमाकों की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली थी। इसके अलावा नरेंद्र मोदी की सभा से ठीक पहले पटना में 27 अक्टूबर 2013 को गांधी मैदान और पटना स्टेशन पर धमाके हुए थे। इन धमाकों में छह लोगों की मौत हुई थी, जबकि 83 लोग घायल हुए थे। उस वक्त नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में रैली को संबोधित करने पटना पहुंचे थे। नरेंद्र मोदी गांधी मैदान में भाजपा की हुंकार रैली को संबोधित करने गए थे। इसके ठीक पहले हुए ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 89 लोग घायल हुए थे।
दोनों घटनाओं की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने की थी। दोनों सिलसिलेवार बम धमाकों के पीछे बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या करने की मंशा सामने आई थी। जांच के दौरान नाबालिग की इन मामलों में संलिप्तता उजागर हुई। उसे बुधवार को पटना के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सजा सुनाई है।