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किडनी रैकेट : हीरानंदानी अस्पताल के 5 डॉक्टरों को जमानत

Published: Aug 18, 2016 11:28:00 pm

इन सभी को 30,000 रुपये की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया

Hiranandani Hospital

Hiranandani Hospital

मुंबई। किडनी रैकेट मामले में मेट्रोपोलिटन न्यायाधीश ने गुरुवार को एल.एच. हीरानंदानी अस्पताल के पांच चिकित्सकों को कई कड़ी शर्तों के तहत जमानत दे दी। अस्पताल के सीईओ सुजीत चटर्जी, चिकित्सा निदेशक अनुराग नाइक, डॉक्टर मुकेश सेतिया, प्रकाश शेट्टी और मुकेश शाह को 9 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को 30,000 रुपये की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया। हालांकि, अदालत ने उनको 26 सितंबर तक हर सोमवार पुलिस स्टेशन में शाम को रिपोर्ट करने का आदेश दिया और अदालत की अनुमति बिना देश छोडऩे पर भी रोक लगा दी।

अपनी पुलिस हिरासत खत्म होने के बाद 13 अगस्त को पांचों चिकित्सकों को अदालत के सामने पेश किया गया था और 26 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। गुरुवार को उनकी जमानत याचिका स्वीकृत कर दी गई। पिछले शनिवार को न्यायाधीश के निर्देशानुसार आरोपी चिकित्सकों के वकील आबद पोंडा, सुबीर कुमार, प्रणव बधेका, ब्रायन डी लीमा ने 16 अगस्त को नियमित सुनवाई के दौरान जमानत याचिका दायर की थी।

बचाव पक्ष ने कहा कि पुलिस के अदालत से कहे जाने के बाद कि आरोपियों की आगे पूछताछ के लिए हिरासत की जरूरत नहीं है और उनके द्वारा कोई वित्तीय लेनदेन नहीं किया जा रहा है, वे एक प्रतिष्ठित चिकित्सक हैं, वे फरार नहीं होंगे या सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

उन्होंने तर्क दिया कि इन चिकित्सकों का गुर्दा देने की मंजूरी में कोई भूमिका नहीं थी और दूसरे मुख्य आरोपियों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है जिसमें गुर्दादाता, प्राप्तकर्ता और समन्वयक शामिल हैं।

हालांकि, सरकारी वकील ने रैकेट की जांच जारी रहने और दो अन्य अस्पतालों के चिकित्सकों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के साथ, मामले में सबूतों से छेड़छाड़ के खतरे का हवाला देकर जमानत दिए जाने का विरोध किया।

पिछले शुक्रवार, दिनदोशी सत्र न्यायालय ने दो चिकित्सकों सुवीन शेट्टी और वीना सेलकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पुलिस अत्यधिक संदिग्ध गुर्दा प्रत्यारोपण मामले की जांच कर रही है और पहले ही अस्पताल से ज्यादा गिरफ्तारियों के संकेत दे चुकी है। हीरानंदानी अस्पताल में 12 अगस्त को एक बाहरी फर्म अर्नस्ट एंड यंग को बीते एक साल में हुए सभी गुर्दा प्रत्यारोपण मामले की जांच के लिए नियुक्त किया गया है।

यह मामला तब खुला, जब 14 जुलाई को एक सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश गुप्ता और कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता सहित व्यापारिक संघ के सदस्यों ने एक गुर्दा प्रत्यारोपण ऑपरेशन को बीच में ही रोक दिया, जब मामले में दाता और ग्राही दोनों फर्जी दंपति निकले-‘पति’ ब्रिजकिशोर जायसवाल और ‘पत्नी’ शोभा ठाकुर।

इस तरह 12 साल से उपनगरीय इलाके के प्रतिष्ठित निजी 240 बिस्तरों वाले से रैकेट से जुड़े 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस पर्दाफाश के बाद महाराष्ट्र स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक ने चिकित्सक जानकारों की एक समिति बनाकर चार गुर्दा प्रत्यारोपण अनियमितताओं से जुड़े मामलों की जांच के लिए कहा। समिति के रिपोर्ट के आधार पर, पुलिस ने पांच चिकित्सकों को 9 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इससे चिकित्सकों के बीच भूचाल आ गया।

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