2004 से 2009 के बीच का है मामला
आपको बता दें कि ये मामला तब का है जब राजद सुप्रीमो लालू यादव रेलमंत्री थे। उन पर आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच बतौर रेल मंत्री उन्होंने एक निजी कंपनी को अवैध तरीके से रांची और भुवनेश्वर में दो होटलों को चलाने का ठेका दिया। इसके बदले में होटल मालिकों ने उन्हें पटना में 3 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई थी। जिस जमीन की सौदेबाजी हुई वो पटना के सगुना मोड़ इलाके की है। जानकारी के मुताबिक इस टेंडर की पूरी प्रक्रिया में नियम-कानूनों की बुरी तरह अनदेखी की गई थी।
तीन एकड़ की महंगी जमीन की दलाली
गौरतलब है कि बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी की देखभाल की जिम्मेवारी एक प्राइवेट फर्म सुजाता होटल को सौंपी गई। उसके बाद उन्होंने एक बेनामी कंपनी की मदद से इसके बदले तीन एकड़ की महंगी जमीन के रूप में दलाली ली। बता दें कि सुजाता होटल का मालिकाना हक विनय और विजय कोचर के पास है।
लालू प्रसाद यादव को खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी करने की मांग
इस मामले में आरोपी सिद्ध होने पर न्यूनतम तीन साल और अधिकतम 7 साल तक की सजा दी सकती है। फिलहाल कोर्ट ने राबड़ी, तेजस्वी यादव समेत सभी आरोपियों को एक-एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी है। साथ ही सीबीआई ने कोर्ट से लालू प्रसाद यादव को खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कर 6 अक्टूबर को पेश होने की मांग की है।
इनके खिलाफ दायर हुई थी याचिका
बता दें कि छह दिन पहले ही एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने लालू यादव, राबड़ी यादव, तेजस्वी यादव समेत 12 लोगों के खिलाफ इस मामले के संबंध में चार्जशीट दायर किया था। जिसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी आरोपियों को 31 अगस्त को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होने समन भेजा था।