डॉ. रवीना के अलावा कोई दूसरा भी दोषी संभव है, पुलिस कप्तान ने नियम तोड़े एडवोकेट प्रमोद सक्सेना की अर्जी में कहा गया है कि अव्वल बगैर एफआईआर दर्ज किए पुलिस किसी मामले की जांच नहीं कर सकती है। इस नियम के बाद भी एसएसपी-कानपुर अनंतदेव ने एसपी-क्राइम को मामले की जांच सौंपी है, जोकि गैर कानूनी है। ऐसे में इस मामले में एसएसपी पर साक्ष्य को बिगाडऩे और साक्ष्य मिटाने का केस दर्ज हो सकता है। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शुक्ल कहते हैं कि पुलिस चाहे तो बगैर तहरीर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच कर सकती है। बाद में दौरान तफ्तीश डॉ. रवीना अथवा किसी अन्य का नाम साक्ष्यों के आधार पर बतौर आरोपी जोडऩा चाहिए। उन्होंने कहाकि सुरेंद्र दास के परिजनों की तहरीर पर डॉ. रवीना के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हो सकता है, लेकिन बगैर तहरीर पुलिस को अज्ञात के खिलाफ ही पहला मुकदमा लिखना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि सुसाइड नोट में आईपीएस सुरेंद्र दास लगातार खुद को बेकसूर साबित करने की कोशिश करते रहे हैं। ऐसे में संभव है कि मियां-बीवी के बीच किसी तीसरे के दखल के कारण सुरेंद्रदास ने आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लिया।
बुधवार को खाया था जहर, रविवार को रीजेंसी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत गौरतलब है कि पत्नी और परिवार के बीच उलझे शहर के एसपी (पूर्वी) सुरेंद्र दास ने जिंदगी का अंत करने के लिए बुधवार की सुबह जहर निगल लिया था। हालात खराब होते ही एसपी को आवास के निकटवर्ती नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ती देखकर रीजेंसी हास्पिटल रेफर कर दिया गया था। खुदकुशी के मुद्दे पर कोई भी आला अफसर मुंह खोलने को तैयार नहीं है। एसपी पूर्वी सुरेंद्र दास की पत्नी कानपुर मेडिकल कालेज में जूनियर रेजीडेंट हैं। रीजेंसी अस्पताल के चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट राजेश अग्रवाल के मुताबिक, बुधवार की सुबह 6.15 बजे आईपीएस सुरेंद्र दास को एडमिट कराया गया था। जहर के कारण हृदय और फेफड़ों के साथ-साथ किडनी तथा शरीर के अन्य हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया, जिसके कारण जिंदगी को बचाना मुमकिन नहीं हुआ।