बच्चे बेचने के लिए गैंग के सदस्य बच्चों को कहीं से चोरी नहीं करते थे, बल्कि गरीब महिलाओं की कोख किराए पर ली जाती थी। इसमें कुछ महिलाओं को सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा कराए जाते थे। यह बच्चे दिल्ली के अलावा दूरदराज के इलाकों में रह रहीं गरीब महिलाओं के जरिए पैदा कराकर राजधानी में बेचे जा रहे थे।
इसके लिए उन महिलाओं की पूरे नौ महीने तक मेडिकली देखभाल और बाद में जब वह बच्चे को जन्म दे देती थीं। तब उन्हें दो से तीन लाख रुपये तक देकर उनसे बच्चा ले लिया जाता था। ऐसे में माना जा रहा है कि इस गैंग ने कुछ महिलाओं को इसी काम के लिए हायर कर रखा था।
कोख बेचने वाला ये रैकेट पिछले लंबे समय से सक्रिय था। इसकी शुरुआत रैकेट की मास्टरमाइंड महिला ने तब की जब उसे खुद बच्चा पैदा करने में दिक्कत हुई। अपने बच्चे की चाहत में वह एक आईवीएफ सेंटर के संपर्क में आईं। वहां से इनकी बच्चे की चाहत तो किसी तरह से पूरी हो गई थी लेकिन इसी चाहत ने इन्हें बच्चे बेचने के इस धंधे में उतरने का आइडिया दे दिया। फिर इसने गैंग बनाया, जिसमें 12 लोग शामिल थे। फिलहाल गैंग के तमाम 12 लोगों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है।
कोख को किराए पर लेने वाले इस गैंग का संपर्क दो आईवीएफ सेंटर से भी था। यहां से इन्हें निसंतान दंपती का पता मिलता था। इसके बाद इन दंपती से सौदेबाजी की जाती थी। लड़का और लड़की दोनों बच्चों की अलग-अलग कीमत तय होती थी। कीमत तय होने के बाद उनसे अडवांस टोकन मनी के रूप में कुछ रुपये लिए जाते थे। इसमें 5 से लेकर 10 लाख रुपए तक सौदा तय होता था।
गिरोह के पकड़े गए 12 सदस्यों से पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच के अगले निशाने पर दोनों आईवीएफ सेंटर हैं। पुलिस की माने तो जल्द ही इन दोनों सेंटर्स पर भी छापेमारी कर उन्हें पड़ा जाएगा।