गुलाटी हत्याकांड दिसंबर 2010 में तब सामने आया था, जब अनुपमा का एक रिश्तेदार उसके प्रकाशनगर स्थित आवास पर उससे मिलने पहुंचा था। राजेश गुलाटी यहां पत्नी अनुपमा व दो बच्चों सिद्धार्थ और सोनाक्षी के साथ रहता था। सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी ने रिश्तेदार को बताया कि अनुपमा डेढ़ महीने से अपने मायके गई हुई है। संदेह होने पर रिश्तेदार ने पुलिस को सूचना दी। गुलाटी के घर पहुंची पुलिस ने डीप फ्रीजर से अनुपमा गुलाटी के शव के टुकड़े बरामद किए। आरोप है कि राजेश गुलाटी ने पत्नी अनुपमा की हत्या करके उसके शव के टुकड़ों को दो माह तक डीप फ्रीजर में छुपाए रखा था।
आरोप है कि उसने 17 अक्टूबर 2010 को अनुपमा की गला दबाकर हत्या की और फिर स्टोन कटर व आरी से शव के टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रख दिए। शव के टुकड़ों को वह धीरे-धीरे ठिकाने लगाता रहा। आरोपी ने कुछ टुकड़े मसूरी रोड के जंगल में फेंके थे, जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया था। जंगल में मिले शव के टुकड़ों का डीप फ्रीजर में मिले टुकड़ों व अनुपमा के माता-पिता के डीएनए से मैच कराया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। पुलिस ने आरी, डीप फ्रीजर और स्टोन कटर पर से राजेश गुलाटी के फिंगर प्रिंट भी हासिल कर लिए। पुलिस ने 10 मार्च 2011 को राजेश के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। राजेश गुलाटी तभी से जेल में है। अभियोजन पक्ष ने अदालत में कुल 42 गवाह पेश किए, जिसमें राजेश की महिला मित्र और उसके घर पर काम करने वाली दो नौकरानी भी शामिल रहीं। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि 17 अक्टूबर 2010 को अनुपमा गुलाटी पति राजेश गुलाटी के साथ घर पर मौजूद थी। अनुपमा का शव भी राजेश की मौजूदगी में ही बरामद किया गया। सारे साक्ष्य राजेश के खिलाफ हैं।