script

1984 सिख दंगा केस: 34 साल बाद दोषी यशपाल सिंह को फांसी, नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा

locationनई दिल्लीPublished: Nov 20, 2018 04:53:41 pm

Submitted by:

Prashant Jha

गौरतलब है कि 1 नवंबर 1984 को हुई हत्या, हत्या की कोशिश, दंगा भड़काने, घातक हथियार से हमला करने समेत आगजनी की धाराओं में यशपाल और नरेश को दोषी पाया गया था।

anti sikh riots

1984 सिख दंगा: मुजरिम यशपाल सिंह को फांसी, नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा

नई दिल्ली: 1984 सिख विरोधी हिंसा के एक मामले में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। 34 साल बाद दोषी यशपाल सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा दी गई है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तिहाड़ जेल में पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
14 नवंबर को कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 14 नवंबर को दो आरोपियों को हत्या, हत्या की कोशिश, लूटपाट, आगजनी व अन्य धाराओं में दोषी करार दिया था, इस मामले में मंगलवार को सजा का ऐलान होना था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय पांडेय ने नरेश सेहरावत और यशपाल सिंह की सजा तथा मृतकों के परिजनों व घायल हुए पीड़ितों को मुआवजे के मुद्दे पर दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसी सिलसिले में आज कोर्ट ने यशपाल को मौत की सजा सुनाई है। कोर्ट ने नरेश सेहरावत व यशपाल सिंह को दिल्ली के हरदेव सिंह और अवतार सिंह की हत्या का दोषी करार दिया था। कोर्ट ने इन दोनों को महिपालपुर में 1 नवंबर 1984 को हुई हत्या, हत्या की कोशिश, दंगा भड़कानेस घातक हथियार से हमला करने समेत आगजनी की धाराओं में दोषी पाया था।
दोषी करार देने का पहला मामला

बता दें कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 1984 दंगा मामले में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी का गठन अनुराग कुमार की अध्‍यक्षता में हुई थी। इसके अन्‍य दो सदस्‍यों में सेवानिवृत जिला जज राकेश कपूर और दिल्ली पुलिस के डीसीपी कुमार ज्ञानेश शामिल हैं। 1984 के सिख विरोधी दंगों में ये पहला मामला है जिसकी एसआईटी ने जांच की और कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया।
https://twitter.com/ANI/status/1064854923228168198?ref_src=twsrc%5Etfw
सज्जन कुमार पर भीड़ को उकसाने का आरोप

बता दें कि सिख दंगों के आरोपी कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पिछले दिनों कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट पहुंचे थे और जिला एवं सत्र न्यायालय के जज पूनम ए भांबा की अदालत में पेश हुए। इस बीच गवाह चाम कौर को पेश किया गया जिसने सज्जन कुमार की पहचान की। चाम कौर ने इससे पहले कोर्ट में यह अर्जी दाखिल कर चुकी हैं कि उन्हें गवाही देने से रोकने के लिए जान से मारने की धमकी दी जा रही है। इसके अलावे रिश्वत का भी लालच दिया जा रहा है। अपनी गवाही में चाम कौर ने अदालत को बताया कि 1 नवंबर 1984 को सुल्तानपुरी इलाके में सज्जन कुमार ने भीड़ को उकसाया था। इसके बाद भीड़ ने उसके घर को आग के हवाले कर दिया। साथ ही उसके पिता व बेटे की हत्या कर दी। बता दें कि इस पूरे मामले की जांच देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई कर रही है।

ट्रेंडिंग वीडियो