यह है मामला
इंग्लैंड की ओर से बल्लेबाजी कर रहे ऑलराउंडर बेन स्टोक्स आखिरी ओवर की चौथी गेंद पर शॉट मारकर दो रन के लिए भागे। दूसरा रन लेते वक्त मार्टिन गुप्टिल का फेंका थ्रो सीधे उनके बल्ले से टकराया और गेंद बाउंड्री के बाहर चली गई। अंपायर कुमार धर्मसेना ने दौड़कर पूरे हुए दो और बाउंड्री के बाहर गेंद जाने पर मिले चार मिलाकर कुल छह रन इंग्लैंड के खाते में जोड़ दिए। बता दें कि इससे पहले इंग्लैंड को जीत के लिए आखिरी तीन गेंद पर 9 रनों की दरकार थी। मैच के बाद धर्मसेना की इस फैसले की काफी आलोचना हुई। कहा जा रहा है कि इसी एक अतिरिक्त रन से इंग्लैंड मैच की समाप्ति पर न्यूजीलैंड के स्कोर की बराबरी करने में सफल रहा और उसके बाद सुपर ओवर में उसने इतिहास रच दिया। हालांकि साइमन टॉफेल यह नहीं मानते कि इस एक घटना की वजह से मैच का निर्णय प्रभावित हुआ।
आईसीसी के नियम 19.8 के अनुसार, यदि ओवर थ्रो के बाद गेंद बाउंड्री के पार जाती है, तो पेनाल्टी के रन के अलावा बल्लेबाजों द्वारा दौड़कर पूरे किए गए रन भी जुड़ते हैं। उसमें यह देखा जाता है कि क्षेत्ररक्षक द्वारा गेंद थ्रो करने के समय दोनों बल्लेबाज लाइन क्रॉस हुए थे या नहीं। इसी को देखकर रन जोड़े जाते हैं।
न्यूजीलैंड के कोच का लॉर्ड्स के मैदान से है गहरा नाता, 29 साल पहले करते थे खिड़कियां साफ
कहा- निर्णय लेने में हुई गलतीसाइमन टॉफेल ने कहा कि निर्णय लेने में की गई यह एक गलती है। हालांकि अंपायरों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा उस माहौल में अंपायरों ने सोचा कि बल्लेबाज थ्रो के समय क्रॉस कर गए हैं, जबकि टीवी रिप्ले में कुछ और दिखा। यहां दिक्कत यह है कि अंपायरों को सबसे पहले बल्लेबाजों को रन पूरा करते देखना होता है और फिर उन्हें अपना ध्यान क्षेत्ररक्षक पर लगाना होता है, जो गेंद को उठाकर रिलीज करने वाला होता है। आपको देखना होता है कि उस वक्त बल्लेबाज कहां है। यह आसान काम नहीं है। चाहे मामला जो भी हो, टॉफेल के इस बयान के बाद विश्व कप फाइनल के नतीजे पर सवाल तो खड़े होते ही हैं।