आरएम लोढ़ा इस बात से हैरान हैं कि कैसे सीओए, नए संविधान को लागू में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि इस पर वह क्या कह सकते हैं। हर कोई लोढ़ा पैनल के प्रस्तावों की व्याख्या अपने-अपने तरीके से कर रहा है, जबकि हमारे सुझाव संविधान के अनुरूप है। वहां अब निर्णय लेने के लिए बीसीसीआई के लोकपाल मौजूद हैं। अब इस तरह का कोई मामला सामने आता है तो इस पर लोकपाल को फैसला लेना चाहिए। ताजा मामले पर भी बोर्ड के लोकपाल डीके जैन को ही कोई फैसला लेना चाहिए। लोकपाल को अब लोढ़ा पैनल के प्रस्तावित नए संविधान के खिलाफ उठने वाली कदमों को रोकना चाहिए। पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि पिछले दो सालों में कुछ भी नहीं हुआ है, जबकि वह सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनुमोदित रिपोर्ट को लागू होते देखना चाहते थे।
एक बीसीसीआई अधिकारी ने कहा कि दौरे पर कप्तान और कोच को अपनी पत्नी और प्रेमिकाओं ले जाना स्पष्ट रूप से हितों का टकराव था। सीओए की ओर से कई ऐसे फैसले लिए गए हैं, जो न सिर्फ बीसीसीआई के नए संविधान का उल्लंघन है, बल्कि लोढ़ा समिति की रिपोर्ट का भी उल्लंघन हैं, जबकि सीओए प्रशासन में हितों के टकराव जैसे मुद्दों के साथ आए हैं। हालांकि अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि लोकपाल जैन इस पूरे मामले से कैसे निपटते हैं, क्योंकि सीओए के एक सदस्य ने खुद यह स्पष्ट किया है कि बैठक में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से नहीं पारित किया गया था।