बॉक्सिंग की नहीं थी जरूरत
डे के प्रामोटर लाऊ डिबेला ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह किसी के बेटे, भाई और अच्छे दोस्त थे। वह जिनसे भी मिले वह उनकी तारीफ करता था। उनकी नेकी और सकारात्मकता का गहरा प्रभाव लोगों पर पड़ता था। वह आर्थिक रूप से अच्छे परिवार से आते थे। उन्हें मुक्केबाजी करने की जरूरत नहीं थी। वह शिक्षित और संस्कारी व्यक्ति थे। उनके पास अच्छी जिंदगी जीने के लिए अन्य साधन भी मौजूद थे।
प्रतिद्वंद्वी कॉनवेल हताश
डे के प्रतिद्वंद्वी कॉनवेल उनकी मौत से इतना हताश हुए कि एकबारगी उन्होंने बॉक्सिंग छोड़ने तक का निर्णय ले लिया था। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर आखिरी बार बोलेंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि यह कितना संवेदनशील मामला है। उन्होंने कहा कि वह कभी नहीं चाहते थे कि ऐसा हो। वह कई बार अपने दिमाग में उस बाउट को याद कर सोचते हैं कि उनके साथ ही ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने डे के लिए कई बार प्राथना की और आंसू बहाए, क्योंकि वह यह सोच भी नहीं पा रहे कि उनके परिवार और दोस्तों को कैसा महसूस हो रहा होगा। उन्होंने तो मुक्केबाजी छोड़ने के बारे में भी सोचा, लेकिन वह जानते हैं कि आप ऐसा नहीं चाहेंगे। उन्होंने कहा कि वह उनके लिए विश्व खिताब जीतना चाहते हैं।