आठ महीने बाद पता चली गलती
मिली जानकारी के मुताबिक बीमा अभिकर्ता गुणशेखरन और उसकी पत्नी राधिका के खाते में वर्ष 2012 में अचानक एक दिन ४० लाख रुपए आ गए। दंपती ने इसके बारे में बैंक से जानकारी लेने के बजाय राशि को भूखंड खरीदने और बेटी की शादी में खर्च कर दिया। संयोगवश बैंक ने भी दंपती से इसे लेकर संपर्क नहीं किया। बैंक को घटना के करीब आठ महीने बाद दंपती के खाते में 40 लाख रुपए हस्तांतरित होने की जानकारी तब मिली जब लोक निर्माण विभाग ने इसे लेकर शिकायत की।
मिली जानकारी के मुताबिक बीमा अभिकर्ता गुणशेखरन और उसकी पत्नी राधिका के खाते में वर्ष 2012 में अचानक एक दिन ४० लाख रुपए आ गए। दंपती ने इसके बारे में बैंक से जानकारी लेने के बजाय राशि को भूखंड खरीदने और बेटी की शादी में खर्च कर दिया। संयोगवश बैंक ने भी दंपती से इसे लेकर संपर्क नहीं किया। बैंक को घटना के करीब आठ महीने बाद दंपती के खाते में 40 लाख रुपए हस्तांतरित होने की जानकारी तब मिली जब लोक निर्माण विभाग ने इसे लेकर शिकायत की।
सरकारी विभाग का था धन
दरअसल, यह सांसद और विधायक क्षेत्र विकास निधि की थी जिसे विभाग को विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए खर्च करना था। लेकिन, अधिकारियों ने गलती से विभाग के अधिशासी अभियंता के विभागीय खाता संख्या के बजाय गुणशेखरन का खात संख्या दे दिया। संयोगवश, दोनों खाता सरकारी बैंक के ही शाखा में था इसलिए बैंक अधिकारियों को भी संदेह नहीं हुआ और राशि दंपती के खाते में जमा हो गई। करीब आठ महीने बाद जब विभाग के अधिकारियों को खाते में राशि नहीं आने का अहसास हुआ तो उन्होंने बैंक से शिकायत की। बैंक ने विभाग को बताया कि डिमांड ड्राफ्ट पर दर्ज खाते में राशि हस्तांतरित कर दी गई है। फिर अधिकारियों को गलती का अहसास हुआ। इसके बाद बैंक ने जब गुणशेखरन के खाते की जांच की तो उसमें राशि हस्तांतरित होने के कुछ ही दिन बाद ही पूरा धन निकाल लिए जाने की बात सामने आई। इसके बाद बैंक के अधिकारियों ने गुणशेखर से खाता में राशि वापस जमा कराने के लिए कहा ताकि उसे संबंधित खाते में लौटाया जा सके लेकिन काफी लंबे समय तक टाल-मटोल करने के बावजूद गुणशेखरन ने राशि नहीं लौटाई। बैंक ने गुणशेखरन के खिलाफ वर्ष 2015 में अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई। गुणशेखरन दंपती ने इस मामले में अग्रिम जमानत हासिल कर ली। अभियोजन का कहना था कि गुणशेखरन ने लिखित में राशि लौटाने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं किया। अदालत ने दंपती को गबन के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद पुलिस Police ने सोमवार को दंपती को गिरफ्तार कर कोयम्बत्तूर ( Tamilnadu ) केंद्रीय जेल भेज दिया।
दरअसल, यह सांसद और विधायक क्षेत्र विकास निधि की थी जिसे विभाग को विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए खर्च करना था। लेकिन, अधिकारियों ने गलती से विभाग के अधिशासी अभियंता के विभागीय खाता संख्या के बजाय गुणशेखरन का खात संख्या दे दिया। संयोगवश, दोनों खाता सरकारी बैंक के ही शाखा में था इसलिए बैंक अधिकारियों को भी संदेह नहीं हुआ और राशि दंपती के खाते में जमा हो गई। करीब आठ महीने बाद जब विभाग के अधिकारियों को खाते में राशि नहीं आने का अहसास हुआ तो उन्होंने बैंक से शिकायत की। बैंक ने विभाग को बताया कि डिमांड ड्राफ्ट पर दर्ज खाते में राशि हस्तांतरित कर दी गई है। फिर अधिकारियों को गलती का अहसास हुआ। इसके बाद बैंक ने जब गुणशेखरन के खाते की जांच की तो उसमें राशि हस्तांतरित होने के कुछ ही दिन बाद ही पूरा धन निकाल लिए जाने की बात सामने आई। इसके बाद बैंक के अधिकारियों ने गुणशेखर से खाता में राशि वापस जमा कराने के लिए कहा ताकि उसे संबंधित खाते में लौटाया जा सके लेकिन काफी लंबे समय तक टाल-मटोल करने के बावजूद गुणशेखरन ने राशि नहीं लौटाई। बैंक ने गुणशेखरन के खिलाफ वर्ष 2015 में अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई। गुणशेखरन दंपती ने इस मामले में अग्रिम जमानत हासिल कर ली। अभियोजन का कहना था कि गुणशेखरन ने लिखित में राशि लौटाने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं किया। अदालत ने दंपती को गबन के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद पुलिस Police ने सोमवार को दंपती को गिरफ्तार कर कोयम्बत्तूर ( Tamilnadu ) केंद्रीय जेल भेज दिया।