उन्होंने कहा कि इस मेले में आये सभी महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपनी मेहनत और लगन से इन उत्पादों को बनाकर बाजार में अपनी अलग पहचान बनाई है। कामकाजी महिलाओं सहित घरेलू कामों में लगी महिलाएं भी स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अपना हुनर निखार रही है।
नायक ने कहा है कि ऐसी हाटें पहले संभाग स्तर पर आयोजित होती थी अब पहली बार चूरू में जिला स्तर पर आयोजित हो रही है। इसमें 50 महिला स्वयं सहायता समूहों ने भागीदारी की है। जिसमें राजस्थानी परिधान, खाने के कच्चे उत्पाद, मिट्टी के बने बर्तन, लाख की चूडिय़ां, टेराकोटा, मुढ्ढे एवं सरकण्डों से बने अन्य आईटमों को बिक्री के लिए लाया गया है। ऐसे मेलों के आयोजन से आमजनता हमारी समृद्घ परम्पराओं और देशी आइटमों एवं उनको बनाने के हूनर से परिचित होती है।
नायक ने आह्वान किया कि शहर की अधिक से अधिक जनता को इस मेले में आकर इन महिला स्वयं सहायता समूहों का उत्साह वर्धन करना चाहिए। जिला कलक्टर ने बाल विवाह रोकथाम के लिए जागरूकता रथ को भी रवाना किया। महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक संजय कुमार ने बताया कि मेले में बच्चों के लिए झूले एवं अलग से फूड कोर्ट की व्यवस्था की गई है। यह मेला 22 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक कमलीनी द्रविड़, जिला कोषाधिकारी पवन कस्वां, उपखंड अधिकारी श्वेता कोचर सहित बड़ी संख्या में महिलाएं व अन्य लोग उपस्थित थे।