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जो हमारा दु:ख दर्द समझे उसे ही क्यों बताया अपना नेता

locationचित्तौड़गढ़Published: Sep 17, 2018 10:25:51 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

विधानसभा क्षेत्रों का विकास जनता की जरूरतों के अनुरूप हो, इसके लिए पत्रिका समूह की ओर से रविवार को शहर सहित जिले में चेंजमेकर अभियान के तहत बैठक का आयोजन किया गया।

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जो हमारा दु:ख दर्द समझे उसे ही क्यों बताया अपना नेता



चित्तौडग़ढ़. विधानसभा क्षेत्रों का विकास जनता की जरूरतों के अनुरूप हो, इसके लिए पत्रिका समूह की ओर से रविवार को शहर सहित जिले में चेंजमेकर अभियान के तहत बैठक का आयोजन किया गया। इसमें क्षेत्र का जन एजेंडा तैयार करने पर कई क्षेत्रों में कार्यरत लोगों ने विचार व्यक्त किए।
शहर के सीकर एकेडमी सीनियर सैकण्डरी स्कूल सेंती में दोपहर तीन बजे बैठक आयोजित की गई। बैठक में बतौर वक्ता सीए ब्रांच के अध्यक्ष अर्जुन मून्दड़ा ने कहा कि पत्रिका ने राजनीति में बदलाव का अच्छा अभियान शुरू किया है। इसके आने वाले दिनों में अच्छे परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि स्वच्छ राजनीति के लिए नारे और आदर्श कागजों में नहीं होकर जमीनी हकीकत होना चाहिए। जो गलत है हम उसे स्वीकार कर रहे हैं तो आगे के लिए अच्छा संकेत नहीं है। चुनाव में जो भी खर्चा होता है वह कैश लेश होना चाहिए। इससे करप्शन खत्म होगा।
समाजसेवी राधेश्याम आमेरिया ने कहा कि चरित्रवान और सेवा भाव से कार्य करने वालों को ही राजनीतिक पार्टियां टिकिट दें। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। राजनीति में वंशवाद, जातिवाद आदि पर लगाम जरूरी है।
पूर्व आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश व्यास ने कहा कि चित्तौडग़ढ़ विश्व का महत्वपूर्ण स्थान है। आज भी यहां विकास की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन का पूरा विकास नहीं हुआ है। इस दृष्टि से राजनेता वह होना चाहिए जो इस ओर दिल से कार्य करें। इसके अलावा चुनाव में निर्भीकता का वातावरण होना चाहिए। सीकर एकेडमी के निदेशक डॉ. प्रहलाद शर्मा ने कहा कि राजनीति में आने वाले नेता शिक्षित होने चाहिए। साथ ही वह जनता की पीड़ा को समझने वाला होना चाहिए। अच्छी शिक्षा के साथ-साथ सबको मौका मिले, इसके लिए आयु व शैक्षणिक योग्यता का मापदंड तय होना आज प्रासंगिक है।
अधिवक्ता ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि राजनीति में जो भी प्रत्याशी आए वह स्वच्छ छवि का होने के साथ नैतिक मूल्यों को समझने वाला होना चाहिए। क्षेत्र के इतिहास, संस्कृति, भौगोलिक परिस्थिति को जानकर बदलाव, विकास करने वाला होना चाहिए। दागी और अपराधी छवि के लोगों को देश में कहीं से कोई टिकिट नहीं मिलना चाहिए। समाजसेवी गौतम विजयवर्गीय ने कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी ऐसे को उम्मीदार बनाएं जो ३६ कौम को साथ लेकर चलने वाला हो। आम मतदाता को भी चाहिए निजी स्वार्थ और बहकावे को छोड़कर ऐेसे को चुने जो सर्व हित की बात करता हो। कानून क्षेत्र की छात्रा प्रियंका अग्रवाल ने कहा कि १८ वर्ष की आयु का मतदाता सब समझ सकता है कि राजनीति में क्या सही है और क्या गलत। इसलिए सोच समझ कर मतदान करना चाहिए। ऊंचे ओहदे पर बैठने वाले मंत्रियों की शैक्षणिक योग्यता और आयु का निर्धारण होना चाहिए। अधिवक्ता सूरज मल टांक ने कहा कि हो सकता है कि हमारा विधायक प्रदेश का मुख्यमंत्री भी बन जाए। इसलिए बहुत सोच समझकर मतदान करना चाहिए। राजनीति से ही क्षेत्र के विकास को गति मिलती है। राजनीति में भीड़ तंत्र कम होनी चाहिए। औद्योगिक क्षेत्र के अधिकारी प्रेमराज पालीवाल ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया में राजस्थान पत्रिका के चेंजमेकर अभियान से बदलाव की बयार आएगी। राजनेता क्षेत्र का विकास करने वाला होना चाहिए। उसमें सेवा भावना होनी चाहिए। चुनाव से पहले जो घोषणाएं कर वोट लिए जाते हंै, वह पूरी होनी चाहिए। संस्कृतिकर्मी विजय मलकानी ने कहा कि हमारा प्रत्याशी थोपा हुआ नहीं होना चाहिए। कई बार अच्छे व्यक्ति को टिकिट नहीं मिलता है। इसमें बदलाव होना चाहिए। पुराने ढर्रे से हटकर योग्यताधारक को आगे आना चाहिए।
स्वयंसेवी संस्था की प्रतिनिधि संगीता त्यागी ने कहा कि किसी भी बदलाव को लाए बिना परिवर्तन नहीं हो सकता है। बदलाव की शुरुआत स्वयं से करनी होगी। आम जन के दु:ख, दर्द का समझने वाला ही हमारा नेता होना चाहिए। विकास के लिए जौ पैसा स्वीकृत होता है वह धरातल पर कितना पहुंच रहा है, यह हमें देखना होगा। एक-एक आदमी जागरूक होगा तो एक-एक कर ग्यारह होंगे। चिकित्सा क्षेत्र के डॉ. मोहम्मद फारूख गौरी ने कहा कि बच्चों को जो बचपन में सिखाया जाता है वह उम्र भर उसे याद रखता है। इसी प्रकार राजनीति में बदलाव के लिए हमें सीख लेनी चाहिए। आज एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए भी योग्यताएं तय होती है, उसी प्रकार राजनीति के लिए योग्यताएं तय होनी चाहिए। किसान व व्यवसायी रामचंद्र शर्मा ने कहा कि राजनीति में पद पाकर अहंकार नहीं होना चाहिए। आम आदमी की सुननी चाहिए। नेता ईमानदार और
स्वच्छ छवि का होगा, तभी सबका विकास संभव है।

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