इस दवा में ऑक्सीमीट जोलिन या जाइलो मेटाजोल होते हैं। इसका उपयोग करने पर नाक के अंदर के टिश्यूज की सूजन कम हो जाती है और नाक तुरंत खुल जाती है। लेकिन, लंबे समय तक इसके उपयोग से इन टिश्यूज का लचीलापन कम हो जाता है। रक्त संचार में असामान्यता व नाक के अंदर स्थित टर्बिनेट यानी मांस का आकार बढऩे लगता है, जिससे नाक में रुकावट आती है। नाक अक्सर बंद रहने लगती है। नाक में मांस बढ़ जाता है।
कई मरीज अपने स्तर पर ही नेसल ड्रॉप का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं। जिससे राइनाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। हर माह अस्पताल में ऐसे लगभग 20 से 25 मरीज नाक, कान व गला विभाग में आते हैं। ड्रॉप डालने के बाद नाक बंद रहने की समस्या और बढ़ जाती है। डॉ. मीठालाल मीना, विभागाध्यक्ष, ईएनटी विभाग, श्रीसांवलियाजी अस्पताल चित्तौडग़ढ़
नेसल ड्रॉप पर मरीज की निर्भरता बढ़ जाती है। दवा के प्रभाव का असर कम रह जाता है। इस कारण बार-बार नाक में ड्रॉप डालने की इच्छा होती है। नाक से पानी नहीं आता व छींक भी नहीं आती है। नाक बंद रहती है। ऐसा होने पर ड्रॉप को तुरंत बंद कर देना चाहिए।