किसी भी अवैध निर्माण या अतिक्रमण की शिकायत मिलने पर कनिष्ट अभियन्ता ही जांच करता है लेकिन परिषद के पास एक ही अभियन्ता रह जाने से ऐसे मामलों में शिकायते कागजों से बाहर ही नहीं निकल पा रही है। कई बार एक अभियन्ता के पास एक ही समय में कई कार्य बता दिए जाने पर उसके लिए प्राथमिकता तय करना भी चुनौती बन जाता है। शहर में चल रहे परिषद के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता की जांच व देखरेख का दायित्व भी अभियन्ताओं पर ही है।
नगर परिषद में जहां कनिष्ट अभियन्ताओं का टोटा है वहीं नगर विकास न्यास में हालात विपरीत है। वहां परिषद के एक जेईएन की तुलना में पांच अभियन्ता लगे हुए है लेकिन सहायक व अधिशासी अभियन्ता के पद ही रिक्त पड़े हुए है। ऐसे में वरिष्ट अभियन्ताओं की जिम्मेदारी भी कनिष्ट अभियन्ता ही उठा रहे है। ऐसे में न्यास के स्तर पर हो रहे कार्यो की जिम्मेदारी व निरीक्षण दोनों ही एक स्तर के अभियन्ता के पास होने से गुणवत्ता भी सवालिया दायरे में है।