अभी तक यहां मतदाता खामोश बैठा हुआ है और मोदी या राम लहर जैसा कुछ सामने भी नहीं आ रहा है। जोशी जो गत चुनाव में कांग्रेस के गोपाल सिंह ईडवा से बाहरी बनाम स्थानीय के नारे के दम पर करीब छह लाख मतों से जीते थे और इस बार फिर उम्मीदवारी घोषित होते ही उनके समर्थक एवं पार्टी के दिग्गज नेता इस बार दस लाख से जीत का दावा कर रहे थे। कांग्रेस ने धनबल वाले अपने कद्दावर नेता पूर्व मंत्री एवं सांसद उदयलाल आंजना को प्रत्याशी बनाकर जोशी के सामने चुनौती पेश की है।
आंजना के साथ मुफीद स्थिति यह भी है कि भाजपा जो अब तक अफीम किसानों की राजनीति कर संसद में पहुंचती रही है, उसके सामने इस बार अफीम डोडा-चूरा के पुराने व्यवसायी आंजना के होने से करीब तीन लाख मतों का भी बंटवारा होने का अनुमान है। जोशी अपने प्रचार की शुरुआत में अफीम पर ही अपना प्रचार केंद्रित किए हुए थे, वह अब अपने 10 सालों में करवाए गए कामों पर भी जन सम्पर्क के दौरान समर्थन मांग रहे हैं।
एकजुट नहीं भाजपा कार्यकर्ता !
जोशी के साथ एक और समस्या बनी हुई है कि गत विधानसभा चुनावों में टिकटों में उनकी भूमिका से चित्तौडग़ढ़, बेंगू, मावली एवं वल्लभनगर क्षेत्र में गुटों में बंटे कार्यकर्ता एकजुट नहीं हो सके हैं। मावली से बागी लडऩे वाले कुलदीप सिंह और चित्तौडग़ढ़ से लडऩे वाले चंद्रभान सिंह और उनके समर्थकों की भले पार्टी में वापसी हो गई है, लेकिन जोशी के समर्थक उन्हें पार्टी कार्यक्रमों और उनके दौरों में बुला नहीं रहे हैं। बेंगू विधायक के एक कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष सहित जोशी समर्थक पदाधिकारियों द्वारा क्रि अपमान और उस पर जोशी की चुप्पी बेंगू के धाकड़ मतों के ध्रुवीकरण में बाधा है।
कांग्रेस ने झोंकी ताकत
वल्लभनगर में पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर को पार्टी में लेने से संघ खेमा खासा नाराज है, भिंडर पर वर्ष 2005 में विधायक रहते एक स्वयंसेवक की हत्या के आरोप लगे थे, तब से वह पार्टी से बाहर थे। जोशी अपने सौम्य व्यवहार और काम के दम पर जीत के प्रति आश्वस्त है, हालांकि अंतर इस बार बेहद कम रहने के आसार बन रहे हैं। इधर, आंजना के साथ अब तक विभिन्न गुटों में बंटी पार्टी एकजुट होकर मैदान में है और वह लगातार दौरे कर रहे हैं, जहां अपनी अपनी अदावत भुलाकर सभी नेता कार्यकर्ता उनके साथ हैं।
…तो, बट सकते हैं वोट
निम्बाहेड़ा से प्रतापगढ़ तक उनका पुराना गढ़ होने, मावली में हाल ही हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत तथा भाजपा की सिर फुट्टोवल से इस बार वह जोशी को पटखनी देने के प्रति आश्वस्त है, लेकिन बाप के प्रत्याशी मांगीलाल मीणा की उम्मीदवारी सहित नाम वापसी के बाद बचे 18 उम्मीदवारों में अधिकांश जैसे बहुजन समाज पार्टी, अम्बेडकर कांग्रेस और दो तीन मुस्लिम प्रत्याशी की मौजूदगी से कांग्रेस को अपने ही परम्परागत मतों के बिखरने का खतरा बना हुआ है। भाजपा एवं कांग्रेस सहित लोकसभा क्षेत्र में इस बार 18 उम्मीदवार मैदान में है।
भाजपा द्वारा देश भर में राम और मोदी लहर होने का दावा यहां पर अभी तक धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है फिर भी भाजपा अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है, भले ही इस बार जीत का अंतर कम हो। भाजपा से हारे गोपाल सिंह ईडवा को भी इस बार भाजपा ने अपने पाले में कर दिया है लेकिन वह नागौर जिले के निवासी है और वह यहां पर बिल्कुल बेअसर हैं।