वीरों की धरती चित्तौड़गढ़ का राजनीतिक मिजाज परखने के लिए इस संसदीय क्षेत्र में करीब साढ़े पांच सौ किलोमीटर का सफर किया। सफर में गांव-ढाणी, कस्बों में अनेक लोगों से चर्चा कर चुनावी पारा नापने की कोशिश की। दूसरे चरण में यहां 26 को मतदान होना है। समूचे क्षेत्र में झण्डे-पोस्टर और बैनर नगण्य हैं। चुनाव मानो सोशल मीडिया पर ही लड़ा जा रहा है। एनएच 27 पर जोगनियां माता मंदिर के मोड़ पर एक दुकान पर किसान रामधन से चुनावी चर्चा शुरू की। रामधन बोले, अभी तो माहौल ठण्डा है, वोट मांगने कोई नहीं आया है। बेगूं में मसाला व्यापारी भरत कुमार ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को अफीम के पट्टे ज्यादा दिए हैं। इससे यहां के किसान तो खुश हैं। किसान ओमराज और राजूलाल का कहना था कि पहले पानी की समस्या थी, अब गांधी सागर से पानी आने वाला है।
दिनभर की तपन के बाद शाम ढलते ही चित्तौड़गढ़ के हृदय स्थल पर बने पद्मनी पार्क में वरिष्ठ नागरिकों से चर्चा हुई। पेंशनर सत्यनारायण सिकलीगर ने कहा चुनाव राष्ट्रीयता के मुद्दों पर हो रहे हैं। शादी की तारीख तय हो गई, बारात सजने वाली है, लेकिन दुल्हा कौन होगा, यह अब तक तय नहीं हुआ। ऐसी बारात में कौन जाने को तैयार होगा। पास बैठे सेवानिवृत्त इंजीनियर जगदीश पालीवाल ने कहा कि राम मंदिर की चर्चा सब जगह है। निजी स्कूल संचालक लालसिंह गौतम दोनों की बातों से सहमत नहीं थे, बोले पिछले पांच साल से महंगाई की मार झेल रहे हैं, चुनाव देख पेट्रोल-डीजल के दाम घटाए हैं। बीए के छात्र जालिमसिंह केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के बयान को नफे-नुकसान की तराजू में तोलते नजर आए। कुल मिलाकर स्थानीय मुद्दे यहां भी गायब ही नजर आए।
प्रमुख मुद्दे
आरएपीपी और उद्योगों में युवाओं को रोजगार मिले अफीम के पट्टों की नीति का सरलीकरण हो, अधिक पट्टे मिले पर्यटक सर्किट विकसित किया जाए चित्तौडग़ढ़ के बीच से गुजर रही गंभीरी नदी पर रिवर फ्रंट बनेसांवरिया सेठ के लिए नहीं आई रेल
मतदाता का मन टटोलते हुए जन-जन के आस्था के धाम मंडफिया में सांवरियाजी पहुंचे। यहां कबूतर खाना में प्रकाश वैष्णव से चुनावी माहौल पर बात की तो तपाक से बोले यहां तो सांवरे की सरकार है। मुद्दे क्या हैं पूछा तो बोले- पिछले दस साल से मंडफिया को रेल मार्ग से जोड़ने का आश्वासन दिया गया, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ।
8 सीटें: 6 भाजपा, 1 कांग्रेस, 1 निर्दलीय
लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीट में से छह भाजपा, एक कांग्रेस और एक निर्दलीय के खाते में हैं। चित्तौडगढ़ सीट पर भाजपा से बागी होकर चन्द्रभानसिंह आक्या चुनाव जीते थे। आक्या और सीपी जोशी के बीच छत्तीस का आंकड़ा है, यह सर्वविदित है। शीर्ष नेतृत्व ने दोनों को एक मंच पर ला दिया है। अब आक्या भाजपा को समर्थन जरूर दे रहे हैं।