इसकी वजह इ-वेस्ट में कई तरह के खतरनाक रसायनों का शामिल होना है, जिसके चलते प्रदेश के सभी कार्यालयों अथवा प्रतिष्ठानों में उत्पन्न होने वाले इलेक्ट्रानिक वेस्ट प्रबंधन एवं निस्तारण करने निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन, जिला मलेरिया अधिकारी समेत अन्य चिकित्सा अधिकारियों को दिए है।
इन्हें माना गया बल्क कन्ज्यूमर्स – समस्त केंद्रीय एवं राज्य शासन के विभाग, सार्वजनिक उपकरण बैंक, निजी कम्परिया, शैक्षणिक संस्थान, अंतर राष्ट्रीय प्रतिष्ठान तथा कारखाना, पंजीकृत संस्था, सूक्ष्य-लघु एवं मध्यम उद्यम अंतर्गत कार्यरत एंजेसियों को बल्क कन्ज्यूमर्स की श्रेणी में रखा गया है। उक्त संस्थाओं से निकलने वाले इ-वेस्ट को पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल बनाने के लिए उचित निस्तारण किया जाना होगा। साथ ही वेस्ट में शामिल खतरनाक तत्वों से किसी प्रकार का विपरित प्रभाव स्वास्थ्य या पर्यावरण पर न पड़े, इसका ख्याल रखने के नियम है।
अधिकृत एजेंसी को देना अनिवार्य – इ-वेस्ट को शासकीय प्रक्रिया के तहत निविया या नीलामी कर कबाड़ के रूप में विक्रय नहीं किया जा सकता है। उक्त वेस्ट के सुरक्षित निष्पादन के लिए शासकीय प्रक्रिया के माध्यम से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मप्र प्रदूषण नियंत्रण द्वारा प्राधिकृत डिस्मेंटलर अथवा रिसाइकलर्स को ही उक्त कार्य सौंपा जा सकता है।
मप्र स्वास्थ्य संचालनालय उप संचालक (आइटी) डॉ. हिमांशु जायसवार ने बताया कि कई संस्थाएं शासकीय नियमों का पालन नहीं कर रही है। बताया जाता है कि इ-वेस्ट अंतर्गत कम्प्यूटर्स, एसेसरीज, प्रिंटर, मॉनिटर, सीपीयू, फैक्स, मशीन, पीबीएक्स मशीन, सीडी, डीवीडी, लैपटॉप, मोबाइल, टीवी, यूपीएस, एक्स-रे मशीन, सोनोग्राफी मशीन आदि शामिल है।